वास्तुकला का यह एक अनूठा और मौलिक नमूना है। उदयादित्य परमार का बनवाया हुआ उदयेश्वर महादेव का मंदिर, जो उदयपुर ( भिलसा के पास) स्थित है, लाल पत्थर का है और मालवा प्रदेश के मंदिरों में सर्वश्रेष्ठ है।
इसके शिखर से चार चौड़ी पट्टियाँ चारों दिशाओं से चलकर तलपाद तक पहुँचती हैं और सिद्ध करती हैं कि यह मंदिर अपने ढंग का अनोखा है। इन पार्टियों के बीच में मुठियादार पाँच-पाँच मुठियों (शिखरों) की सात कतारें हैं, जो मंदिर के विमान और जगमोहन के जोड़ तक नीचे पहुँचती हैं।
पट्टियों और मुठियादार कतारों या अण्डकों के ऊपर के सिरे पर एक कलश पीठ है, जिस पर त्रिकोणाकार आमलकी-शिखर है। इसके जगमोहन का अलंकरण भी अद्भुत है। यह 6-7 मंजिल की है और इसके अंग-प्रत्यंग पर कलाकार ने अपना तन-मन न्योछावर कर दिया है।
जगमोहन और विमान के जोड़ पर ही एक मुकुटाकार विशाल तथा अत्यधिक अलंकृत आला है; जिसके ऊपर के सिरे पर एक विशालकाय सिंह की मूर्ति स्थापित है। इस दृश्य से मंदिर की शोभा और भी बढ़ जाती है। इस मुकुट कृतिका एक नमूना बेताल-मंदिर (भुवनेश्वर) में भी है, जहाँ इसे 'भोस' कहा गया है।
मध्यप्रान्त ग्वालियर का तेली का मंदिर भी इस मण्डल का एक सुन्दर उदाहरण है। अन्य मंदिरों में जिन्हें कलचुपुरि राजाओं ने बनवाया था, चौसठ जोगिनियों का मंदिर ही एक ऐसा उत्कृष्ट नमूना है, जो अब तक विद्यमान है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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