 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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तेंदू के वृक्ष की ऊंचाई 25 से लेकर 40 फीट तक होती है। इसमें एक प्रकार का गोंद भी लगता है। इसके पत्ते भारत में बीड़ियां बनाने के काम में लिए जाते हैं। इसके फूल सुगंधित और सफेद होते हैं।
इसके फल ललाई लिए पीले रंग के होते हैं। इन फलों के मुंह पर एक पांच कोने वाला ढक्कन जैसा लगा रहता है। इन फलों के अंदर चीकू के समान स्वादिष्ट गूदा भरा रहता है, जो खाने के काम में आता है। इस गूदे में काले रंग की चमकीली गुठलियां रहती हैं।
स्निग्ध, गर्म, व्रण नाशक, वात को दूर करने वाला, और मलरोधक होता है। इसका कच्चा फल स्निग्ध, कसैला, हल्का, मलरोधक, शीतल, रूखा और वात पैदा करने वाला होता है। इसका पका हुआ फल पित्त, प्रमेह, रुधिर, विकार और पथरी को नष्ट करता है यह स्वादिष्ट, दुष्पाच्य और वात नाशक होता है।
तेंदू की लकड़ी का सार पित्त रोगों को नष्ट करता है। तेंदू का गूदा उत्तम संकोचक पदार्थ है। यह पुरानी आंव और दस्त में बहुत लाभदायक होता है। इसके कच्चे फल का अर्क पीने से दस्त में बहुत लाभ होता है यह अर्क स्तंभक भी है।
तेंदू की लकड़ी का काला सार हैजा और पित्त के फोड़े-फुंसियों में लाभ पहुंचाता है। इसकी छाल के काढ़े में तिल का तेल मिलाकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से शांति मिलती है।
इसके फलों का रस ताजे जख्मों पर लगाने के लिए उत्तम है। इसके बीजों से निकाला हुआ तेल खूनी दस्त और दूसरे पतले दस्तों में सफलतापूर्वक उपयोग में लिया जाता है। इसके फलों का रस मुंह के छालों और गले की सूजन को दूर करने के लिए कुल्ले करने के काम में लिया जाता है। इसके रस की कुछ बूंदें आंख में अंजन की तरह आंजने से आंखें साफ होती है।
पतले दस्त-
इसके फलों को जल में औटाने से जो तेल निकलता है, उस तेल की बूंदें सोंठ के जल में डालकर पिलाने से अथवा इसके बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से पतले दस्त में लाभ मिलता है।
मुंह के छाले-
इसके फल की फांट बनाकर उससे कुल्ले करने से मुंह के छाले और गले के छाले मिटते हैं।
ताजे घाव-
इसके कच्चे फल में छेद करने से एक प्रकार का गाढ़ा, कसैला रस निकलता है। उस रस को ताजे घावों पर लगाने से लाभ होता है।
रक्तस्राव-
किसी अंग से रक्तस्राव होने पर तेंदू की छाल का चूर्ण छिड़कने से रक्तस्राव शीघ्र बंद हो जाता है।
श्वेत प्रदर-
इसके फल का 7.5 मि.लीटर रस 375 मि.लीटर जल में डालकर स्त्री की योनि में पिचकारी देने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
बुखार-
इसकी छाल का काढ़ा शहद मिलाकर पिलाने से बारी से आने वाला बुखार तथा मलेरिया में लाभ मिलता है।
 
 
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