Published By:धर्म पुराण डेस्क

थाइलैंड में एक प्रसिद्ध बौद्ध संन्यासी ने अपने अनुयायियों को बताया कि थाई संस्कृति में बच्चे के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सम्पूर्ण पहलू भारत माता द्वारा प्रदत्त उपहार है। उनका दृष्टिकोण यह है कि थाईलैंड की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा भारत से प्रभावित है और इसे उच्चतम मानकों में स्थान देना चाहिए। इसके साथ ही, थाईलैंड के लोग अपनी भूमि के सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण मानते हैं।
थाईलैंड का ओरिएंटल होटल: भारतीय संस्कृति के साथ सेवा
थाईलैंड के ओरिएंटल होटल ने विशेष सेवाएं प्रदान करने के लिए विशिष्टता प्राप्त की है और इसे एक उदाहरण माना जा सकता है। यहां के कर्मचारी भारतीय परिधान धोती और कुर्ते में आगत यात्रियों का स्वागत करते हैं और राजा को 'राम' के नाम से सम्बोधित करते हैं। यह दिखाता है कि थाईलैंड के लोग भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी श्रद्धापूर्ण भावना को बनाए रखना चाहते हैं और उन्हें इससे गर्व है।
रामकीर्ति और थाई बॉक्सिंग: भारतीय धरोहर का प्रशिक्षण
थाइलैंड में 'रामकीर्ति' नामक थाई रामायण है, जो 17वीं सदी में लिखा गया था, और इसे वहां के विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। इसके माध्यम से वहां के लोग हिन्दू प्रतिभा के दर्शन करते हैं और उन्हें भारतीय धरोहर का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। थाई बॉक्सिंग, जो अब ओलम्पिक खेलों का हिस्सा है, में रामायण का बाली-सुग्रीव युद्ध पर आधारित चाय-किक्क बॉक्सिंग ओलंपिक्स में खेला जाता है। इससे साफ होता है कि थाईलैंड में हिन्दू सांस्कृतिक धरोहर को न केवल सकारात्मक रूप से आकर्षित किया जा रहा है, बल्कि उसका साक्षात्कार भी हो रहा है।
भारतीय धरोहर का सारंगी: थाईलैंड में संगीत का मधुर स्वर
सारंगी, भारतीय संगीत की एक प्रमुख वाद्य यंत्रों, ने थाईलैंड में भारतीय संगीत का प्रचार-प्रसार किया है। यहां के कलाकार भारतीय संगीत के अद्वितीयता और सौंदर्य को समझकर उसे अपनी शृंगार कला में व्यक्त करते हैं और इससे थाईलैंड की सांस्कृतिक विविधता में एक नई रंगीनी जोड़ते हैं।
इससे स्पष्ट होता है कि थाईलैंड में भारतीय सांस्कृतिक बौद्धिकता का अद्वितीय अंश है और यहां के लोग इसे गर्व से अपना रहे हैं और बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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