Published By:धर्म पुराण डेस्क

जवानी की गलतियों में छिपा है अल्जाइमर रोग का कारण, जाने क्या है अल्जाइमर रोग

अल्जाइमर क्या है ..

अभी तक लोग यही सोचा करते थे कि अल्जाइमर रोग बुढ़ापे की एक सामान्य प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है, जो कुछ लोगों में अधिक उग्र रूप धारण कर लेता है. परन्तु अब इस रोग ने अपनी एक अलग पहचान साबित कर दी है, जिसे पैदा करने में एक के बाद दूसरा घटनाक्रम सांठगांठ अवश्य ही करता रहता है.

इन दिनों इस क्षेत्र में जो अनुसंधान चल रहे हैं, उनका लक्ष्य है रोग भड़काने के लिए जिम्मेदार उन विशिष्ट घटनाक्रमों का पता करना और उनके आधार पर इस रोग के उपचार के लिये नई दवाओं को परखना. विस्मृति पैदा करने वाला अल्जाइमर रोग इस समय पूरे विश्व में लगभग दो करोड़ लोगों को पकड़े हुए है.

आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी के फार्मेकोलॉजी विभाग में की गयी एक खोज के अनुसार अल्जाइमर को युवावस्था में किये गये शक्ति अपव्यय का परिणाम बताया गया है.

प्रोफेसर स्मिथ ने अपनी खोज के लिए मस्तिष्क के 'हिप्पोकैंपस' नामक हिस्से का उपयोग किया. यह मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो याददाश्त से जुड़ा होता है. सामान्य व्यक्तियों में हिप्पोकैंपस' की तंत्रिका ऊतक केवल डेढ़ प्रतिशत प्रति वर्ष 6 कम होती है, जबकि रोगियों में 15 प्रतिशत तक प्रति वर्ष घट जाती है.

डॉ. स्मिथ के अनुसार जो लोग युवावस्था में अप्राकृतिक मैथुन में अधिक लिस रहते है उनके दिमाग में स्थित हिप्पोकैंपस' की तंत्रिका ऊतक काफी तीव्रता से कम होने लगते हैं. 

अत्यधिक वीर्यपात के कारणों से इन ऊतकों की 10 प्रतिशत संख्या प्रति वर्ष कम होती रहती है, गुदा मैथुन में गुदा और शिश्न दोनों पर ही दबाव पड़ता है, अतः ऐसे लोगों में 12 प्रतिशत तक प्रति वर्ष ऊतकों की संख्या में कमी आती है. 

स्तनपान न कराना, स्तनमर्दन से स्त्री को वंचित रखना, उम्र के अनुसार मैथुन की क्षुधा को शांत न करना, मानसिक तनावों से अत्यधिक ग्रस्त रहना, धूम्रपान, मद्यपान आदि नशीली वस्तुओं के अत्यधिक प्रयोगों से भी हिप्पोकैंपस' तंत्रिका ऊतक कम होने लगते हैं. फलस्वरूप वृद्धावस्था में 'ए.डी.' का प्रहार हो जाता है.

इससे बुढ़ापे की सामान्य प्रक्रिया और अल्जाइमर रोग का भेद बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है. इससे यह भी पता चलता है कि इस अवस्था को भड़काने में जीवन की किसी कारण घटना का हाथ होता है. उसी की वजह से दिमाग की नाड़ियां बड़ी तेजी से घटने लगती है. इस खोज के चलते अब रोग की प्रारंभिक अवस्था में मस्तिष्क के ऊतकों के क्षीण होने से पहले ही रोकथाम की जा सकती है.


 

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