बचपन में हम एक खेल खेलते थे, जिसे हम "विकृति का वृत्त" कहते थे। यह खेल हमें एक महत्वपूर्ण सिख सिखाता था - वह थी कि जिंदगी में हर नियम कभी-कभी बदल जाता है, और हमें इसे समझने की आवश्यकता है।
खेल में, हम सभी एक वृत्त में बैठते थे और एक व्यक्ति एक वाक्य को दूसरे के कान में फुसफुसाता था। फिर उस व्यक्ति ने उसी वाक्य को अपने बाजूवाले कान में कह दिया, और यही प्रक्रिया जारी रहती थी।
खेल ने हमें बताया कि ईश्वर के नियम भी इसी प्रकार कार्य करते हैं। शुरुआत में, नियम सही होते हैं, पर समय के साथ, जब लोगों की सोच और सामाजिक माहौल बदलता है, तो नियमों में भी बदलाव हो जाता है।
विकृति का वृत्त हमें यह सिखाता है कि हर नियम का समर्थन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें समय-समय पर उसकी समीक्षा करना भी आवश्यक है। कहीं न कही, एक पुराना नियम अगले को बदलने का मार्गदर्शन कर सकता है और नए संदर्भों के लिए उपयुक्त हो सकता है।
यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि नियमों का अनुसरण करने में सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि वे कभी-कभी हमें अनपेक्षित परिणामों में भी डाल सकते हैं।
हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि विकृति का वृत्त हमारी सोच और दृष्टिकोण को बदल सकता है, और ईश्वर के नियमों को सही समझने का क्रम यही सिखाता है।
लेखक बुक “अद्भुत जीवन की ओर”
भागीरथ एच पुरोहित
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