विद्यार्थियोंने सर्वेक्षण-अध्ययन विश्लेषण करके निष्कर्ष निकाला कि इनमें से लगभग 90 प्रतिशत बच्चे भविष्य में किसी-न-किसी मामले में जेल जा चुके होंगे।
25 साल बाद नये विद्यार्थियों को फिर वहाँ भेजा गया कि वे पता लगायें कि पिछले शोध का नतीजा कितना सही रहा। नवीन शोधार्थियों को लगभग 180 बच्चे, जो अब वयस्क बन चुके थे, यहाँ-वहाँ मिल गये, लेकिन उन शोधार्थियों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उनमें से केवल 4 ही कभी-न-कभी जेल गये थे।
आखिर शोध का परिणाम इतना गलत कैसे हो गया! अक्सर शोधार्थियों को उन लोगों से एक ही जवाब मिलता था, 'एक भली शिक्षिका थीं, जो हमें पढ़ाया करती थीं।' लेकिन अब उन शिक्षिका के पते-ठिकाने की जानकारी किसी को नहीं थी। आखिरकार खोज करने पर पता लगा कि अब वे शिक्षिका एक वृद्धाश्रम में रहती हैं।
वहाँ जाकर जब उन शिक्षिका से पूछा गया कि इन बच्चों में आप इतना बड़ा परिवर्तन कैसे ला सकीं ? तो वे बोलीं, 'मैं यह कैसे कर सकती थी !'
फिर स्मृतियों की गहराई में जाकर कुछ सोचते हुए वे बोलीं, 'मैं उन बच्चों को बहुत प्रेम करती थी।'
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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