 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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धूम्रपान की प्रवृत्ति दिनों दिन बढ़ती जा रही है. विडम्बना तो यह है कि प्रत्येक व्यक्ति, जो इसका आदी है, इसके परिणामों को जानता है और जानबूझकर खतरे मोल लेता है. इसके तलबगार अपने क्षणिक आनंद के लिए अपने जीवन को संकट में डाल देते हैं और जब वे संभलना चाहते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
हाल में ही मेडिकल एसोसिएशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार.
भारत में 10 वर्ष से बड़ी 40 प्रतिशत ऐसी लड़कियां तथा महिलाएं हैं, जो किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं, ऐसी लड़कियों तथा महिलाओं की संख्या 22 करोड़ 20 लाख है. भारत में गरीब मजदूर महिलाएं अक्सर बीड़ी पीती दिखाई देती हैं, तो महानगरों में सम्पन्न घरों की महिलाएं और कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियां सिगरेट पीती नजर आती हैं.
एक शोध के अनुसार यदि महिलाएं सिगरेट पीना छोड़ दें, तो प्रतिवर्ष 400 महिलाओं में हृदयाघात होने की संभावना से छुटकारा मिल सकता है और तकरीबन 112 जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.
गर्भस्थ शिशु पर दुष्प्रभाव यदि कोई मां सिगरेट और तंबाकू सेवन की आदत है, तो उसका घातक प्रभाव भ्रूण और गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है यानी गर्भ में ही शिशु धूम्रपान और तंबाकू जनित खतरों की चपेट में आ जाता है. चूंकि भ्रूण मां के पेट में पलता है, इसलिए मां द्वारा किसी भी तरह से किया गया तंबाकू का सेवन सीधे भ्रूण पर असर डालता है.
जो लड़कियां लम्बे समय से धूम्रपान की आदत होती हैं, उन्हें गर्भधारण भी बड़ी मुश्किल से होता है. ऐसी कई महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं. यदि गर्भ ठहरता भी है, तो शीघ्र ही गर्भपात हो जाता है. जिन महिलाओं को धूम्रपान की लत होती है, उनमें धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की अपेक्षा गर्भपात होने का प्रतिशत दुगुना है. समय से पूर्व प्रसव, अत्यधिक कष्ट और गर्भपात की संभावना बराबर बनी रहती है.
गर्भवती माताओं पर किए गए परीक्षणों से पता चलता है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चे समय से पूर्व जन्म लेते हैं. इनका वजन तथा लंबाई अन्य शिशुओं की अपेक्षा कम होती है. जन्म के समय सामान्य बच्चे की तुलना में इन बच्चों का वजन लगभग 200 ग्राम कम तथा लंबाई लगभग 2 इंच कम होती है.
दुनिया भर में कम से कम 30 लाख शिशु हर वर्ष अपनी माताओं की धूम्रपान की लत के कारण जानलेवा रसायनों के जाल में फंस जाते हैं.
 
 
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