आस्था है कि नर्मदा नदी का हर कंकर शिव शंकर है। भगवान शिव के तपस्या करते समय पसीने की बूँद से जो जलधारा बह निकली वह नर्मदा नदी के रूप में प्रसिद्ध हुई।
नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक (शहडोल) म.प्र. है। यहाँ दैत्य बाणासुर ने घोर साधना, तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर वरदान माँगा था कि आप माँ नर्मदा के सभी तट के पर्वतों पर हमेशा लिंग रूप में वास करें और प्रत्येक शिवलिंग चैतन्य हो। इसलिए नर्मदा तट के करीब अधिकतर शिव मंदिर मिलते हैं। इसी तट पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और प्रसिद्ध तीर्थ महेश्वर भी है। कहाँ मिलते हैं शिवलिंग
खंडवा म. प्र. स्टेशन से 50 कि.मी. दूर नर्मदा का सबसे बड़ा प्रपात है जो लगभग 50 60 फीट ऊँचाई से नीचे गिरता है। इस प्रपात के नीचे एक "बावड़ी" नामक कुंड है। इस कुंड में जो भी छोटे-बड़े पत्थर, पहाड़ आदि गिरते हैं, वह तेज जलधारा के कारण प्राकृतिक रूप से अपने आप शिवलिंग स्वरूप हो जाते हैं।
नर्मदेश्वर शिवलिंग को कभी तराशा नहीं जाता, ना ही इन पर कोई आकृति बनायी जाती है। ये शिव कृपा से ही इस कुंड में शिवलिंग रूप में मिला करते हैं। इसी स्थान से मिले नर्मदेश्वर बाण शिवलिंग का ही पूजा में होता है। अधिकतर शिवलिंग इसी कुंड से ले जाये जाते हैं।
इन्हें पूजा या मंदिर में स्थापित करने से पूर्व परखा जाता है। नर्मदेश्वर बाण शिवलिंग को तराजू के एक पलड़े में रखकर दूसरे पलड़े पर चावलों को रखकर तौला जाता है। थोड़ी देर बाद पुनः उन्हीं चावलों से शिवलिंग तौला जाता है। दुबारा तौलने पर शिवलिंग चावल के वजन से हलके हों तो उत्तम माने जाते हैं और यदि भारी हो, तो साधु-सन्यासियों हेतु उत्तम और बार-बार तौलने पर बराबर वजन हो, तो महत्वहीन माना जाता है। उसे पुनः नर्मदा नदी में छोड़ देते हैं।
ऐसे शिवलिंग से बचें-
(1). घर में खुरखुरा शिवलिंग पहले से ही हो, में या स्थापित किए हों, तो ऐसे लोगों को रोग, भय और मृत्यु कष्ट की संभावना होती है।
(2). शिवलिंग का एक हिस्सा गोल और एक हिस्सा चपटा हो, तो स्त्री व पुत्र शरीर से पीड़ित रहते हैं।
(3). यदि शिवलिंग चटका, फूटा, क्षतिग्रस्त हो, तो घर में बीमारी बनी रहती है।
(4). शिवलिंग में छेद हो, तो घर का मुखिया परेशान रहता है।
(5). शिवलिंग का ऊपरी भाग चपटा होने पर घर का स्वामी मानसिक रूप से विकृत हो जाता है।
(6). शिवलिंग बहुत पतला होने पर कलंक कारी होता है।
शिवलिंग कैसे हों-
(1) जो नर्मदेश्वर बाण शिवलिंग शहद के रंग के होते हैं, वह लक्ष्मी दायक माने जाते हैं।
(2) मेघ के समान शिवलिंग आर्थिक दृष्टि से लाभदायी होते हैं।
(3) भँवरे के समान घोर काले शिवलिंग अत्यंत श्रेष्ठ माने जाते हैं।
(4) सबसे अच्छा शिवलिंग कमलगट्टे के समान होता है। इसका पूजन अत्यंत ही शुभदायक है।
(5) सफेद रंग के शिवलिंग जीवन में पूर्ण उन्नति, सुख-समृद्धि देने वाला माना गया है।
डीके कोरी
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