Published By:धर्म पुराण डेस्क

200 साल पुराना है हनुमान जी का चमत्कारी मंदिर, भक्तों को तत्काल राहत

रायसेन जिले के बरेली की सीमा के पास छिंद गांव में हनुमान जी की चमत्कारी मूर्ति है।

यह स्थल बरेली से 7 किमी दूर है। जहां देश-विदेश से लाखों भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। खासकर मंगलवार और शनिवार को यहां सुबह चार बजे से भक्तों की कतार लग जाती है। 

हर साल हनुमान जयंती पर यहां विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, विदिशा, होशंगाबाद समेत आसपास के कई जिलों से लोग परिवार और दोस्तों के साथ आते हैं. यहां वे दादाजी के दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं। 

कई भक्त भंडारे का आयोजन करते हैं और प्रसाद भी बांटते हैं। यहां दिन-रात भजन और कीर्तन का आयोजन होता है और छिंद में मेले लगते हैं।

भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार संकट मोचन हनुमान जी रुद्र स्वरूप माने जाते हैं। किवदंतियों के अनुसार कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए धरती पर हैं, अपने भक्तों की पुकार सुनकर वे तुरंत चमत्कार दिखाते हैं। क्योंकि त्रेतायुग में भगवान राम ने उन्हें धर्म की स्थापना और भक्तों के कल्याण के लिए कलयुग के अंत तक धरती पर रहने को कहा था। इसलिए देश भर से हनुमानजी के भक्त अपने दुख-दर्द के साथ मंदिर जाते हैं और व्रत रखते हैं और अपनी आस्था के अनुसार तपस्या करते हैं। 

बजरंगबली के इन चमत्कारों में एक चमत्कारी मंदिर भी है जहां भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने का आशीर्वाद लेकर आते हैं।

मध्य प्रदेश की धरती पर बजरंगबली का ऐसा मंदिर, जहां भक्तों के हर मानसिक कार्य की होती है सिद्धि|

भोपाल से 40 किमी दूर रायसेन जिले के छिंद गांव में यह मंदिर हनुमान दादा जी लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है और खासकर हर मंगलवार को यहां दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं। 

मंदिर में हर मंगल भंडारे का आयोजन किया जाता है। भंडारे के बाद यहां भजन संध्या की जाती है। चादर चढ़ाने, झंडा फहराने और चोला पहनाने का रिवाज यहां बहुत पुराना है।

पांच मंगलवार की उपस्थिति मनोकामना को पूरा करती है ..

हनुमान दादाजी के इस दरबार में अमीर-गरीब, राजनेता और अभिनेता सभी सर नवाने देने आते हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिण दिशा में उन्मुख दादा की मूर्ति है। हर मंगलवार और शनिवार को दूर-दूर से श्रद्धालु छींद धाम पहुंचते हैं। 

ऐसा कहा जाता है कि दादा के दरबार में आने वाले की हर मनोकामना पांच मंगलवार को नागा किए बिना पहुँचने से पूरी हो जाती है। दादा का यह दरबार करीब दो सौ साल पुराना बताया जाता है। 

ऐसा माना जाता है कि बहुत समय पहले श्री हनुमानजी के एक भक्त ने यहां आध्यात्मिक साधना की थी। साधना से प्रसन्न होकर दादा सदैव इस मूर्ति में विराजते हैं। यहां आने वाले भक्तों को अनुभव होता है कि दादा उनके कष्टों को शीघ्र दूर करते हैं।


 

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