मंदिर बहुत ही सुंदर व बड़ा मंदिर है। अपनी नक्काशियों के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर बुढ़ानिलकंठ मंदिर नाम से जाना जाता है।
मंदिर में विराजमान है भगवान विष्णु की शयन प्रतिमा..
मंदिर में श्री विष्णु की सोती हुई प्रतिमा विराजित है। जो की लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर में विराजमान इस मूर्ति की लंबाई लगभग 5 मीटर है और तालाब की लंबाई करीब 13 मीटर है जो की ब्रह्मांडीय समुद्र का प्रतिनिधित्व करता है।
भगवान विष्णु की इस प्रतिमा को बहुत ही अच्छे से बनाया व दर्शाया गया है। तालाब में स्थित विष्णु जी की मूर्ति शेषनाग की कुंडली में विराजित है, मूर्ति में विष्णु जी के पैर पार हो गए हैं और बाकी के ग्यारह सिर उनके सिर से टकराते हुए दिखाए गए हैं।
विष्णु जी की इस प्रतिमा में विष्णु जी के चार हाथ उनके दिव्य गुणों को बता रहे हैं, चक्र मन का प्रतिनिधित्व करता है, शंख चार तत्वों का, कमल का फूल चलते ब्रह्मांड का और गदा प्रधान ज्ञान को दिखा रही है।
पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर का महत्व..
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन के समय समुद्र से हलाहल यानि विष निकला तो सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए इस विष को शिवजी ने अपने कंठ में ले लिया और तभी से भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा।
जब जहर के कारण उनका गला जलने लगा तो वे काठमांडू के उत्तर की सीमा की ओर गए और एक झील बनाने के लिए अपने त्रिशूल के साथ पहाड़ पर वार किया और इस झील के पानी से अपनी प्यास बुझाई, इस झील को गोसाईकुण्ड के नाम से जाना जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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