 Published By:अतुल विनोद
 Published By:अतुल विनोद
					 
					
                    
विज्ञान के विकास के साथ धार्मिक सुधार की जरूरत -P अतुल विनोद ये दुनिया परिवर्तनशील है| समय के साथ यहां पर सब कुछ बदलता है| यहां तक की हमारे अंदर मौजूद हर एक CELL (कोशिका) हर क्षण नया स्वरूप ले लेता है| समय के साथ मनुष्य का ज्ञान परिपक्व होता चला जाता है| जब मनुष्य का ज्ञान और विज्ञान दोनों ही समय के साथ नई समझ ले लेते हैं तो फिर धर्म क्यों नहीं बदल सकता? प्रचलित धर्मों के बुनियादी सिद्धांत स्थाई नहीं हो सकते|
क्योंकि दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है इसलिए मानव निर्मित धर्म भी स्थाई और जड़ नहीं हो सकता| प्रत्येक समाज, जाति, वर्ग, मत पंथ संप्रदाय और धर्म समय के मुताबिक अपने आप को अपग्रेड और अपडेट कर सकते हैं, कुछ कर भी रहे हैं|
पुराने डाटा और दृष्टिकोण के साथ नए जमाने में नहीं चला जा सकता| ये बात सच है कि धर्म के बुनियादी सिद्धांत यदि UNIVERSAL सिद्धांत के करीब होंगे तो उन्हें बदलने की जरूरत नहीं होगी| क्योंकि यूनिवर्सल लॉ कभी भी चेंज नहीं होते|
इसीलिए तो सृष्टि न जाने कितने सालों से उन वैश्विक नियमों के आधार पर संचालित हो रही है|छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो यूनिवर्स में करोड़ों साल में कोई बहुत बड़ी तब्दीली नहीं आई है|जब मानव विकास के शुरुआती दौर में होता है तो उसकी बुद्धि बहुत ज्यादा विकसित नहीं होती, ना ही उसके तर्क सुनियोजित होते हैं|
अतार्किक बुद्धि कुछ काल्पनिक मान्यताएं गढ़ लेती है|और ये काल्पनिक मान्यताएं यदि समय के साथ तर्क की कसौटी पर न कसी जाए तो यही आगे चलकर मूढ़ धार्मिक कट्टर सोच में बदल जाती है| वक्त बदलता जाता है, लेकिन मानव का मन बदलाव के साथ उन पुरानी धार्मिक मान्यताओं, अतार्किक सिद्धांत और सोच को बदल नहीं पाता|कई बार तो कुछ धर्म प्रचलित धर्म के विरोध में खड़े कर दिए जाते हैं|
विरोध के स्वर से प्रभावित तात्कालिक परिवारों की आने वाली कई पीढ़ियां उसी विरोधी सोच का पोषण करती है और दकियानूसी रूप से विरोध को ही अपना धर्म मानती है| जैसे भारत में बौद्ध धर्म की शुरुआत हुई| महात्मा बुद्ध हिंदू धर्म की कुछ तात्कालिक प्रचलित कुप्रथाओं से खिन्न थे, उन्होंने इस धर्म के परिष्कार के लिए एक नई सोच सबके सामने रखी| महात्मा बुद्ध और उनकी दी गई शिक्षाएं तो रसातल में चली गई|
आगे चलकर उनके अनुयायियों ने हिंदू धर्म के विरोध में एक नया धर्म खड़ा कर दिया| जो बुद्ध के बुनियादी सिद्धांतों से ज्यादा विरोध की जहरीली हवा से ज्यादा प्रभावित था| आज भारत में बुद्ध धर्म के अनुयायियों में बहुत कम ऐसे लोग होंगे जो बुद्ध के सिद्धांतों पर चलते होंगे| इसी तरह से हिंदू धर्म जो कि सनातन धर्म का ही परिवर्तित नाम है, अपनी बुनियादी सोच “सर्वधर्म समभाव”, ”वसुधैव कुटुंबकम”, सत्य एक है और मानव मात्र के कल्याण से हटकर बीच के एक संक्रामक दौर में जातिवाद और कुछ को प्रथाओं का शिकार हो गया|
आगे चलकर इस धर्म ने जातिवाद और कुप्रथाओं से कुछ हद तक मुक्ति पा ली लेकिन इस दौर में भी ऐसे लोग हैं ऊंच नीच जात पात के इस संक्रमण से मुक्त नहीं हो पाए हैं| इस्लाम में इत्माम-ए-हुज्जत,काफ़िर,ख़त्म-ए-नबुव्वत,ज़िहाद,कुफ़्र जैसी कई बातें प्रचलित हैं, जो आज के दौर में जस्टिफाइड नहीं, हो ये भी सकता है कि इन बातों का गलत अर्थ निकाल लिया गया हो| लगभग सभी धर्मों में इस तरह की मान्यताएं पाई जाती हैं जो आज के दौर में फिट नहीं बैठती|
अपने-अपने मान्यताएं परंपराएं संस्कृति सबको अच्छी लगती है| लेकिन यदि उस समय के अनुसार व्यवहारिक नहीं है तो उन में थोड़ा सा संशोधन और परिवर्तन करना गैर वाजिब नहीं है| हर दौर में कुछ ऐसी चेतनाए रही हैं, जिन्हें ईश्वरीय संदेश और संकेत मिले हैं| आज भी ऐसी महान चेतनाएं मौजूद है जो सृष्टि के मूलभूत नियमों को समझ सकती हैं| ये चेतनायें जब भी इन नियमों और सिद्धांतों को लिपिबद्ध करती है तो तो तात्कालिक देश काल और परिस्थिति उनकी लेखनी पर हावी हो जाती है| कई बार ये शख़्शियतें उस वक्त मौजूद लोगों को समझाने के लिए कुछ उदाहरण, कथाएं और शब्दावली का सहयोग भी लेते हैं| जो आगे चलकर गलत रूप धारण कर लेते हैं|
मानव सभ्यता ने जैसे-जैसे विकास किया उसने हर एक घटना के पीछे अलौकिक शक्ति का हाथ माना|मनुष्य ने विश्वास किया कि सब कुछ अचानक एक चमत्कार की तरह बन जाता है| मानव भी पल भर में ईश्वर द्वारा बनाकर धरती जैसे ग्रह पर भेज दिए जाते हैं| मनुष्य ने ये भी सोचा कि ईश्वर ने हर एक जीव जंतु को अपने हाथ से बनाया है| मनुष्य ने चेतना के विकास के साथ-साथ ये भी सीखा कि धरती पर मौजूद प्रत्येक जड़ और चेतन में ईश्वरीय शक्ति निवास करती है|
आगे चलकर मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ अलग-अलग क्षेत्र समय और परिस्थिति के मुताबिक अलग-अलग तरह के ईश्वरीय सिद्धांत और मान्यताएं प्रचलन में आ गई|मनुष्य ने चेतना के विकास के साथ-साथ ये निष्कर्ष भी निकाला कि दुनिया में सब कुछ एक ही ईश्वर के द्वारा प्रकट किया गया है| कहीं ईश्वर को मूर्ति या व्यक्ति के रूप में देखा गया तो कहीं उसे अमूर्त और निराकार शक्ति के रूप में माना गया| मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ मानव समाज का एक वर्ग ऐसा भी सामने आया जो विज्ञान को ही सच मानने लगा और उसने सृष्टि की उत्पत्ति, घटनाओं और निर्माण के पीछे किसी दैवीय शक्ति की खोज बंद कर दी|
इन सब पड़ावों के बावजूद भी मानव सब कुछ अपने आप घटित होने को स्वीकार नहीं कर पाया|विज्ञान ने भी एक समय ये घोषणा की थी कि सब कुछ क्रमिक विकास के कारण अपने आप पैदा होता गया और बढ़ता गया| लेकिन सृष्टि के अद्भुत स्वरूप को देखने और दुनिया के व्यवस्थित संचालन को देखने के बाद विज्ञान को भी ये यकीन हो गया कि कोई ऐसी नियंत्रक शक्ति है जो इस सब को संचालित कर रही है| विज्ञान ने अपनी तमाम खोजों के बाद ये निष्कर्ष निकाला ये शक्ति इनविजिबल फोर्स है| इसी को डार्क मैटर, गॉड पार्टिकल, हिग्स बोसोन या ट्रांसपेरेंट मेटर कहा गया|भारत की योग विद्या आज भी ध्यान की गहरी अवस्था में उस सुप्रीम कॉन्शसनेस से मनुष्य का परिचय कराती है|
हम सबके अंदर वो इंटेलिजेंट पावर मौजूद है| जब व्यक्ति योग और कुंडलिनी के मार्ग पर आगे बढ़ता है तो इस दैवीय शक्ति के होने का अनुभव हो जाता है| वो शक्ति की बुद्धिमत्ता का अनुभव कर हैरत में पड़ जाता है|मनुष्य धार्मिक, तात्विक और वैज्ञानिक ढंग से सोचने की क्षमता रखता है| आज जब हम विज्ञान के परिष्कृत दौर में पहुंच गए हैं तो धर्म भी अपने मूल स्वरूप में स्थापित होना चाहिए| एक सार्वभौमिक धार्मिक व्यवस्था आकार लेनी चाहिए| सनातन धर्म के मूल में ग्लोबल यूनिवर्सल प्रिंसिपल्स मौजूद हैं|
अन्य धर्मों में भी ऐसे ही वैश्विक सिद्धांत पाए जाते हैं|यदि इन वैश्विक सिद्धांतों के मूल में जाकर उन्हें कंपाइल कर आज के युग के अनुसार उन्हें सिस्टमाइज किया जाए तो तो धर्म आधारित शांतिपूर्ण विश्व की स्थापना हो सकती है|
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                