Published By:धर्म पुराण डेस्क

भारतवर्ष में सबसे प्राचीन गुफाएँ गया से पटना जाने वाली लाइन पर बेला स्टेशन से आठ मील पूर्व स्थित हैं।

यहाँ पर सिद्धेश्वर नाथ प्राचीन मंदिर तथा पातालगंगा • नामक झरना है। इस स्थान की गुफाएँ बड़े-बड़े कमरों के रूप में बनी हैं। कहीं-कहीं दो कमरों के रूप में अथवा | एक बड़े हॉल के रूपमें बनी हैं। गुफाएँ सात-आठ हैं और इनके भीतर 'वज्रलेप' नामक सुन्दर पॉलिश की हुई है। यह वही पालिस है, जो अशोक के स्तंभों पर मिलती है। इसमें कहीं-कहीं तो आदमी अपना मुख तक देख सकता है। प्रायः सभी गुफाओं में लेख हैं, जिनमें सम्राट अशोक, सम्राट दशरथ आदि द्वारा इन गुफाओं का निर्माण आजीवक ब्राह्मण, साधुओं को नियमित किया गया लिखा है। इन गुफाओं के नाम सुदामा, लोमश ऋषि, रामाश्रम, विश्व झोपड़ी, गोपी, वैदिक इत्यादि हैं। इन गुफाओं के कारण यहां की नागार्जुन पहाड़ सतघरवा नाम से पुकारी जाती है। निश्चय ही ये गुफाएँ ईसासे बहुत पहलेकी बनी हुई हैं।

काठियावाड़में जूनागढ़ स्टेटमें ‘खपराखोड़िया' नामक गुफाएँ भी बहुत ही प्राचीन हैं। ये गुफाएँ प्राचीन • काल में मठ के रूप में काम में लायी जाती थीं और इसमें पक्ष युक्त शरभ बने हैं। ऊपर कोट' में एक दो खण्डकी गुफा है, जिसमें नीचेका दर ग्यारह फुट ऊँचा है। ऊपर के खंड में एक तालाब है और उसके चारों तरफ गली इत्यादि हैं। यहाँ के स्तम्भों के विषय में डा० बरजेस का कहना है कि कदाचित् ऐसे सुन्दर स्तम्भ

कहीं नहीं हैं। गिरनार पर्वत पर जाने के लिये वागेश्वरी द्वार पर 'बाबा प्यारा' नामक गुफाएं हैं। ये गुफाएँ भी अशोक के समय की बनी हुई हैं और बहुत ही प्राचीन हैं।

कार्लीका सुप्रसिद्ध गुफा-मन्दिर बंबई-पूना लाइन पर मळवली स्टेशन से तीन-चार मील पूर्व है। यह गुफा पहाड़ के मध्य में सड़क से प्रायः दो फर्लांग ऊँचे पर बनी है। यह गुफा चैत्यके रूप में बनी है और इसके बगलमें कई छोटे-छोटे विहार भी बने हैं। इसके भीतर एक धातु-गर्भ अर्थात् स्तूप बना है और इसके चारों ओर सुन्दर स्तम्भ तथा परिक्रमा बनी हैं। बाहर की ओर उन राजाओं तथा रानियों की मूर्तियां बनी हैं, जिनके समय में ये गुफाएँ पत्थर को छेनी से काटकर बनाई गयी थीं। ऊपर के भाग में निश्चय ही काठ की बड़ी-बड़ी शहतीरें लगी थीं, जो अब नष्ट हो गयी हैं। गुफा के बाहर एक सुन्दर स्तम्भ पत्थर का बना है। इस गुफा में कई लेख हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि ईसासे दो सौ वर्ष पूर्व उशवदत्तने यह गुफा मन्दिर बनवाया तथा अजमित्रने इस स्तम्भकी स्थापना की थी। यह गुफा आन्ध्रवंशी राजाओंके समयमें बनायी गयी थी।

 

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