Published By:धर्म पुराण डेस्क

जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है, वह "राम" आखिर क्या हैं ...

राम जीवन का मंत्र है। राम मृत्यु का मंत्र नहीं है।

राम गति का नाम है, राम थमने, ठहरने का नाम नहीं है। 

"सतत गतिवान राम सृष्टि की निरंतरता का नाम है "

श्री राम, महाकाल के अधिष्ठाता, संहारक, महामृत्युंजयी शिवजी के आराध्य हैं....

शिवजी काशी में मरते व्यक्ति को (मृत व्यक्ति को नहीं) राम नाम सुनाकर भवसागर से तार देते हैं...

राम एक छोटा सा प्यारा शब्द है..

यह महामंत्र –

शब्द ठहराव व बिखराव, भ्रम और भटकाव...

मद  मोह के समापन का नाम है...

सर्वदा कल्याणकारी शिव के हृदयाकाश में सदा विराजित राम भारतीय लोक जीवन के कण-कण में रमे हैं..

राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं, भगवान विष्णु के अंशावतार मर्यादा पुरुषोत्तम राम हिंदुओं के आराध्य ईश हैं..

दरअसल, राम भारतीय लोक जीवन में सर्वत्र, सर्वदा एवं प्रवाहमान महाऊर्जा का नाम है…

वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं..

अनेकानेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है, राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष्यों में प्रतिष्ठित करने के लिए दाशरथि राम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ है.....

राम शब्द का अर्थ है – "रमंति इति रामः" जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वही राम हैं..

इसी तरह कहा गया है –

"रमते योगितो यास्मिन स रामः" 

अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं वही राम हैं...

इसी तरह ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है –

"राम शब्दो विश्ववचनों, मश्वापीश्वर वाचक:"

अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है। चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या दाशरथि राम हो, विशिष्ट तथ्य यह है कि राम शब्द एक महामंत्र है।"


 

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