Published By:धर्म पुराण डेस्क

राजा और विद्वान ब्राह्मण की ताकत, स्त्रियों को बताया गया है राजा और विद्वान ब्राह्मण की तरह शक्तिशाली

आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी राजा की ताकत उसका बाहुबल होता है। आज के समय में उसके आसपास और साथ के लोग एवं सैनिक उसकी ताकत होते हैं। जिनके दम पर कोई भी राजा अपनी जनता और दुश्मनों को अपने वश में कर सकता है। 

इसके बाद चाणक्य ने ब्राह्मण की ताकत के बारे में समझाते हुए कहा है कि उसका बल उसकी विद्या है। यानी जो ब्राह्मण नीतिशास्त्र, वेद, पुराण और अन्य ग्रंथों के जानकार होते हैं, वो अपनी विद्या से किसी को भी अपने वश में कर सकते हैं। यानी अपने दुश्मनों से भी जो चाहे वो करवा सकते हैं। 

ब्राह्मण अपनी विद्या के प्रयोग से शत्रुओं को दंड भी दे सकता है। इसके बाद आचार्य ने इन दोनों वर्गों के समान स्त्रियों को भी ताकतवर माना है। चाणक्य के अनुसार स्त्रियों की ताकत उनकी सुंदरता, शील और मधुरता है। यानी स्त्रियां अपने सौंदर्य, अच्छे स्वभाव और मीठी वाणी से किसी को भी वश में कर सकती हैं और अपनी इच्छा अनुसार कोई भी काम करवा सकती हैं| 

आपने सही रूप से उल्लेख किया है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार राजा की ताकत उसका बाहुबल होता है, जो कि उसके आसपास और साथियों द्वारा प्रतिष्ठित होता है। यह सही है कि आधुनिक समय में राजा की ताकत उनके साथियों, सैनिकों और अन्य सहायकों पर भी निर्भर होती है। 

इसके बाद चाणक्य ने ब्राह्मणों की ताकत के बारे में विचार किया है और कहा है कि उनकी ताकत उनकी विद्या में होती है। ब्राह्मण जो नीतिशास्त्र, वेद, पुराण और अन्य ग्रंथों का अध्ययन करते हैं, वे अपनी विद्या के द्वारा किसी को अपने वश में कर सकते हैं और अपने दुश्मनों को भी विजयी बना सकते हैं। वे अपनी विद्या के अनुसार शत्रुओं को दंड दे सकते हैं।

इसके बाद आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों को भी ताकतवर माना है। उनकी ताकत उनकी सुंदरता, शील और मधुरता में निहित होती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, स्त्रियां अपनी सौंदर्य, अच्छे स्वभाव और मीठी वाणी के माध्यम से किसी को वश में कर सकती हैं और अपनी इच्छानुसार कोई भी कार्य करवा सकती हैं।

चाणक्य की यह सोच समाज में प्रभावशाली रही है और उनके द्वारा उद्धृत यह संदेश है कि ताकत सिर्फ शस्त्रों या शास्त्रों में ही नहीं होती है, बल्कि शिक्षा, संस्कृति, नैतिकता, शील और विनय जैसे गुणों में भी होती है। स्त्री और ब्राह्मण के बारे में चाणक्य के दृष्टिकोण से यह उदाहरण उनके साम्राज्य विचार और नैतिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है।


 

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