रामायण: वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में रचित, 24,000 श्लोकों के संग्रह से बना एक अद्वितीय महाकाव्य है। भगवान श्रीराम के जीवन का अनुभवकैशों से युक्त, यह काव्य भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
रामायण का समय: इस काव्य का काल त्रेतायुग माना जाता है, जो भगवान विष्णु के अवतार राम के जीवन का समय है। वाल्मीकि रामायण ने रघुवंश के राजा राम की महाकाव्यिक कहानी को सुनाया है।
प्रचलित रामायण:
वाल्मीकि रामायण: संस्कृत में लिखित, रामायण का मूल स्रोत है, जिसने राम की अद्वितीय कहानी को समृद्धि से बखाना है।
तुलसीदास कृत 'श्रीरामचरितमानस': हिन्दी में रचित, तुलसीदास ने भगवान राम के जीवन को भक्तिभाव से दिखाया है, जिससे भक्ति और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान मिला।
कम्ब रामायण: तमिल भाषा में रचित, यह भी एक प्रमुख रामायण है जो भारतीय साहित्य के विभिन्न भाषाओं में प्रसारित हुआ है।
रामचरितमानस: अवधी भाषा में तुलसीदास द्वारा रचित, इसने हिन्दू धर्म और राम के भक्ति रूप को प्रमोट किया।
विश्वभर में रामायण का प्रभाव:
साहित्यिक प्रचार: विश्वभर में रामायण के विभिन्न संस्कृतियों में अनेक रूप मिलते हैं, जो इसमें स्थानीय भाषा और संस्कृति को समर्पित करते हैं।
धार्मिक प्रभाव: रामायण ने भगवान राम के धर्म, नैतिकता, और अद्वितीयता को प्रमोट किया है, जिससे यह विश्वभर में धार्मिकता का एक साधारित्य स्थापित करता है।
कला और साहित्य में प्रभाव: रामायण ने विभिन्न कला रूपों, जैसे कि चित्रकला, संगीत, और नृत्य में भी अपना प्रभाव दिखाया है।
रामायण वाल्मीकि का महाकाव्य न केवल एक कहानी, बल्कि एक धार्मिक, नैतिक और साहित्यिक धरोहर है, जिसने साहित्य और धर्म की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इससे हमें एक सजीव पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर का अध्ययन करने का अद्वितीय अवसर प्राप्त होता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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