 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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जब सूर्य उत्तरायण में होता है, तो संगमेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग पर सूर्य की किरणें पड़ने से वह अस्त हो जाता है। यह अद्भुत घटना मंदिर के अनोखे माहौल को और भी रहस्यमय बनाती है।
संगमेश्वर मंदिर लखनऊ नगर से 36 किलोमीटर दूर डूंगरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर की खासियत उसके स्थान के कारण है, क्योंकि यह सोम और गोमती नदी के तट पर बसा है। इसी वजह से इसे 'संगमेश्वर' के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर का गर्भगृह भी अपने आकर्षक कांच की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। कांच के टुकड़ों पर ऐसी नक्काशी की गई है, जो सूर्य की किरणों के साथ बहुत खूबसूरत दिखती है। खासतौर से जब सूर्य उत्तरायण में होता है, तो उस समय शिवलिंग पर सूर्य की किरणें पड़ने से एक अनूठा और प्रेरणादायक अनुभव होता है। वहां आने वाले भक्तों को यह अनुभव होता है कि सूर्य जमीन पर उतर आया है। इसके अलावा, संगमेश्वर महादेव मंदिर के पास भगवान शिव के त्रिवेणी संगम का स्थान है। यहां संगम होने की वजह से भी यह मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
भक्तों के मन को शांति, समृद्धि, और उत्तरोत्तर प्राप्ति की कामना करते हुए, संगमेश्वर मंदिर उन्हें अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि जैसे पवित्र अवसरों पर भी इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगातार आती है। यहां के शिवलिंग का जल भक्तों को विशेष आशीर्वाद माना जाता है और उन्हें आनंद का अनुभव कराता है।
संगमेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक और पौराणिक एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। इसके अलावा, शिवरात्रि के अवसर पर यहां की भजन-कीर्तन की ध्वनि से महादेव का ध्यान करने वाले भक्तों की भीड़ और भक्ति भाव से भरी वातावरण का अनुभव होता है। इसलिए, यह शिवलिंग सावन के महीने में भक्तों के लिए एक विशेष स्थान है, जहां उन्हें आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है और उन्हें मानसिक शांति प्रदान की जाती है।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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