Published By:धर्म पुराण डेस्क

क्रोध का परिणाम अच्छा नहीं होता, रिश्तों में क्रोध को कैसे दूर करें..

जीवन में किसी को किसी न किसी वजह से गुस्सा आता है।

क्या आपने कभी क्रोध के बारे में गंभीरता से सोचा है? क्रोध क्या है? क्रोध क्यों आता है और इसके क्या परिणाम होते हैं? क्या आप अक्सर रिश्तों में एक-दूसरे से नाराज हो जाते हैं? क्रोध से कैसे छुटकारा पाएं?

जो हमसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं उनसे हमारा रिश्ता खराब हो जाता है। हम अपने बच्चों को सहारा, आराम और एक सुरक्षित वातावरण देना चाहते हैं, लेकिन हमारा गुस्सा ही बच्चों को डराता है।

क्रोधित लोगों से कैसे निपटें? जब मशीन ज़्यादा गरम हो जाए, तो उसे थोड़ी देर के लिए बंद कर देना चाहिए। तब वह मस्त होगी। लेकिन अगर आप इसके साथ छेड़छाड़ करेंगे, तो आप जल जाएंगे।

क्रोधी व्यक्ति पागल हो जाता है। उसे जगह, समय, संयोग और व्यक्ति का पता नहीं है कि मैं कहां हूं, मैं कौन हूं, किसके खिलाफ मैं नाराज हूं।

यदि बासी, बेकार, फटे दूध को अधिक समय तक रखना मूर्खता है तो शास्त्री कहते हैं कि क्रोध को अधिक समय तक मन में रखना मूर्खता है।

कमल कीचड़ में खिलता है, सोना अग्नि से शुद्ध होता है, कुशल चिकित्सक विष से रोग का उपचार कर सकता है, लेकिन क्रोध इस संसार का एक ऐसा तत्व है जिससे केवल हानि ही होती है, एक भी लाभ नहीं मिलता

- क्रोध भ्रष्ट करता है,

- क्रोध से सम्बन्धियों का नाश होता है, 

- क्रोध मन को बिगाड़ता है, शरीर को बिगाड़ता है,

- क्रोध इस लोक को तो बिगाड़ता ही है, परलोक को भी बिगाड़ देता है

मृत्यु के समय आत्मा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है| कोई भी शुभ या अशुभ संयोग हमारा नहीं है, आत्मा को सभी संयोगों से अलग कर दें कि संयोग ही संसार है। आत्मा मूल रूप से संयोग रहित है। ज्ञानी संसार में सभी को सुखी रखते हैं, ज्ञानी सुखी रहते हैं और न्यारे रहते हैं और अज्ञान में लिपटे हुए संसार का विस्तार होता है।


 

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