प्रात:काल पूजा पाठ करने से सात्विक शक्ति प्राप्त होती है। जो तनमन को स्वस्थ बनाता है। यह सुबह का कार्य प्रभु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। जैसे ताजी हवा की जरूरत होती है। ऑक्सीजन की जरूरत है। यह कार्यसात्विक जीवन जीने का ऑक्सीजन रूप है।
मन की प्रसन्नता से, एकाग्रता से, सच्चे हृदय से, प्रेम से, यह दैनिक कार्य हो, तो जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और सुखद हो जाता है। परिवार संस्कारी बनता है।
प्रभु की सेवा प्रेम से करनी चाहिए। इसमें परमेश्वर के प्रेम की प्रधानता होनी चाहिए। बिना मूल्य के चंद श्लोक-मंत्रों का उच्चारण करना, अशांत मन से जल्दबाजी में अनुष्ठान करना पूजा नहीं कहलाता। पूजा-पाठ-सेवा करने में सुख, ईश्वर प्रेम, एकाग्रता, समर्पण, शांति होनी चाहिए।
परमेश्वर नहीं चाहता कि हम उसकी पूजा करें। यह नहीं कहता कि मेरी आरती उतारो। दीया जलाने या आरती करने से भगवान के घर में रोशनी नहीं होती है। यह हमारे दिलों को रोशन करना है।
मैं भगवान का हूं और भगवान मेरा है। वह भाव रखें।
सेवा पूजा पाठ के बाद, विश्वास के साथ साष्टांग प्रणाम करें, सब कुछ समर्पण कर दें।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024