पाताल लोक में नौ जाति के सर्प होते हैं और उनके रंग भी भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे- लाल, काला, पीला, गुलाबी, हरा, श्वेत, नीला, मटिया, दूधिया। इन सर्पों का जो रंग होता हैं उसी रंग की मणि भी होती है। यह मणियाँ सभी वर्गों की तथा सूर्य के समान प्रकाशमान होती हैं।
वासुकी नाग का सर्प इन सब सर्पों का स्वामी है। यह कभी-कभी पृथ्वी के घने जंगलों में आता है, फिर किसी व्याल नाम के सर्प को मणि देता तथा प्रसन्नतापूर्वक मणि की रोशनी में इधर-उधर घूमता, नाचता, खुश होता तथा पुनः मणि को मुँह में रखकर पाताल वापस चला जाता है।
बहुत भाग्यवान व्यक्तियों में से कोई दुर्लभ व्यक्ति की व्याल सर्प को प्रसन्न करके मणि को प्राप्त कर पाते हैं। सर्प मणि को कैसे प्राप्त करें? इसे प्राप्त करने का उपाय यह है कि पहले जिस वन में मणिधारी सर्प पाए जाते हैं उनकी तलाश करें। ये प्रमुखतया उत्तर प्रदेश के घनघोर, सुनसान जंगलों में पाये जाते हैं।
कुछ पर्वतों जैसे विन्ध्याचल पर्वत की श्रेणियों में भी इनका स्थान होता है। मणिधारी व्याल सर्प को प्रसन्न करने के लिए, इत्र, अबीर, मिठाइयां, सफेद वस्त्र, फूल, कस्तूरी, सुगन्धित जल लेकर उस वन में जायें जहाँ व्याल सर्प हों, वहाँ पर सर्प की बाँबी के समीप इन वस्तुओं को एक वस्त्र पर रख दें। जिस स्थान पर वह मणि रखता हो वहां पर सफेद वस्त्र पर पुष्पों को बिछाकर उस पर दूध से भरा बर्तन तथा सुगंधित द्रव्य रखें जिसमें केसर, केवड़ा, गुलाब जल तथा अन्य सुगंधित द्रव्य मिले हों।
इत्र, अबीर, चन्दन तथा मिठाइयों से पूर्ण एक थाल पूर्व सामग्री से थोड़ी दूरी पर रखें और शुद्ध हृदय से यह कार्य चार-पांच दिनों तक करें इस कार्य से व्याल प्रसन्न हो जायेगा। यथासंभव पांचवें दिन वासुकी सर्प आयेगा।
उस समय मणि का प्रकाश बहुत तीव्र होगा, वहाँ दो व्याल सर्प बैठे हुए दिखायी देंगे। तब दूर से ही मृदुवाणी में प्रार्थना करें। वासुकी सर्प ईश्वर के परम सेवक हैं, पृथ्वी पर सबके कार्यों को सिद्ध करते तथा बहुत दानी होते. हैं। तत्पश्चात, वासुकी सर्प उस मनुष्य को अपनी भक्ति करते हुए देखकर प्रसन्न होते हैं तथा मणि उपहार स्वरूप अपने भक्त को प्रदान करते हैं।
इस प्रकार सब कार्य करते हुए अंत में जब तक सर्प मणि न दे दे, तब तक वह व्यक्ति विनती करता रहे। इस विनती को स्वीकार करके सर्प मणि को छोड़कर पाताल वापिस चला जाता है किन्तु जब तक सर्प पाताल में चला न जाये तब तक मणि का स्पर्श भी न करें।
जो व्यक्ति सर्प को मारकर या किसी भी प्रकार का कष्ट देकर मणि लेते हैं वे सात जन्मों तक कष्ट व दुख भोगते हैं। जबकि जिन व्यक्तियों को व्याल सर्प प्रसन्नतापूर्वक मणि देते हैं वे व्यक्ति मणि से प्रभावित होने के कारण धन-धान्य, अन्न, वस्त्र, पुत्र आदि सम्पूर्ण सुखों से परिपूर्ण रहते हैं।
सर्प मणि के प्राप्त होने पर लाभ- सर्प मणि की पूजा कर धारण करने से तंत्र-मंत्र, जादू, मूँठ, भूत-प्रेत आदि का कुछ भी प्रभाव नहीं होता, भूत-भविष्य का ज्ञान प्राप्त होता है, समस्त प्रकार की बीमारियां नष्ट हो जाती है।
मणि को मुँह में रखने से जमीन में गड़ा खजाना ज्ञात हो जाता है, इसके प्रभाव से सभी सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। जिस नगर में यह सांप मणि होती हैं वहाँ पर अन्न तथा धन में वृद्धि होती जाती है। इस मणि को नदी में लेकर चलने से रास्ता ज्ञात हो जाता है। सर्प मणि सभी गुणों, वर्ण, रूप और तेज में अति श्रेष्ठ होती है। सर्प मणि को अंधेरे में रखने से तेज विद्युत के समान प्रकाश उत्पन्न होता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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