जीवन का सच.....WHAT IS YOUR PHILOSOPHY OF LIFE? ... Why Everybody Needs a Life Philosophy This article contains: A Look at the Philosophy of Happiness, What is Real Happiness?, The Value and Importance of Life, The Biggest Causes that Bring True Happiness in Life, Reasons to be Happy From a Philosophical Perspective, A Look at Happiness and Productivity, How does Loneliness Affect Life Satisfaction?,
जिंदगी अपने आप में अनूठी है| इसकी गहराई में जायें तो पता चलता है इसका होना ही काफी है| फिर ख्वाहिशें जिंदगी के आगे बहुत छोटी हो जाती है| मशहूर होने की चाहत नहीं रह जाती| खुद को जान दिया इतना ही काफी है| खुद को पहचान लिया यही पर्याप्त है| मैं खुद को पहचानता हूं, खुद को जानता हूं, मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, मेरा पता ठिकाना क्या है, इन सवालों के जवाब मिल जाए बस फिर क्या बचा?
Philosophies That Will Change The Way You Look At Life मैं मुझे जानूं और मेरे अपने मुझे पहचाने इतना ही तो काफी है| क्या फर्क पड़ता है कि भीड़ मुझे जानती है या नहीं? भीड़ का क्या भरोसा आज जय-जयकार कर रही है तो कल मुर्दाबाद भी कर सकती है| भीड़ मुझे जाने, भीड़ मुझे माने, भीड़ मुझे पूछे भीड़ मुझे पूजे, क्या मिलेगा इससे? मेरे अहंकार को थोड़ा सा पोषण? थोड़ी सी वाहवाही? लेकिन इस यश के पीछे छिपा है अपयश… साथ चलता है| अच्छाई चाहिए तो बुराई भी झेलनी पड़ेगी| मान चाहिए तो अपमान भी झेलना पड़ेगा|
दोस्त चाहिए तो दुश्मन भी मिलेंगे| प्रेम चाहिए तो नफरत भी मिलेगी| जिसकी जैसी दृष्टि होगी वो वैसा देखेगा| हर एक का चश्मा एक सा नहीं होता| एक “आप” में अच्छाई देखेगा तो दूसरा बुराई| आप किसी के काम आ सकते हैं तो अच्छे हैं नहीं आ सकते तो बुरे| जब तक आप किसी की जरूरत है तब तक आप उसके अपने हैं| जिंदगी इसी का नाम है| लोग ऐसे ही हैं| उनका दोष नहीं है परमात्मा ने उन्हें ऐसा ही बनाया है| आप उनकी जगह होते तो आप भी वैसे ही होते |
बनाने वाला सबको डिफरेंट बनाता है| किसी एक का चश्मा किसी दूसरे से नहीं मिल सकता| हर एक का नजरिया उसकी परवरिश देश काल और परिस्थिति से विकसित होता है|
A Philosophical Life What Is Life? कभी-कभी वक्त गुजरता नहीं| लेकिन कब दिन से शाम हो जाती है| शाम से रात, दिन गुजरते गुजरते कब साल गुजर जाता है| साल गुजरते गुजरते कब दशक गुजर जाता है? पता नहीं चलता| सदियां निकल जाती है पता नहीं चलता| कब बचपन छूट गया जवानी आ गई| कब जवानी छूट गई समझदारी आ गई|
कब प्रौढ़ता छूट गई बुढ़ापा आ गया| पता नहीं चलता| हम दौड़ते रहते हैं कुछ पाने के लिए कुछ बनने के लिए| बनते बनते कब बिगड़ जाते हैं पता नहीं चलता| दौड़ते दौड़ते कब अचानक! हमेशा हमेशा के लिए रुक जाते हैं| पता नहीं चलता| पकड़ते पकड़ते कब? सब कुछ छोड़ देते हैं| पता नहीं चलता| जीत कर भी हम कब हार जाते हैं थोड़ा सा पाकर कितना खो देते हैं पता नहीं चलता| जिंदगी का खेल अजीब है|
एक को पकड़ो तो दूसरा छूट जाता है, एक को छोड़ो तो दूसरा छोड़ देता है| इसलिए ना पकड़ो ना छोड़ो| ना भागो ना दौड़ो| चुपचाप रहो अपनी मौज के दरिया में बहो| दूसरों की नजरों में अच्छे हो या बुरे| My Philosophy of Life खुद को देखो, खुद को समझो| यदि संतोष खुद से है|
तो क्या फर्क पड़ता है कोई दूसरा क्या कहता है? आत्मा गवाही देती है मेरे अच्छे होने की| गलतियां होने के बावजूद भी निर्मल होने की| तो फिर बाहर से क्या? जो आता है आने दो जो मिलता है मिलने दो| सुकून यदि अंदर मिल जाए| तो फिर दौड़ खत्म, होड़ बंद |
अपनी आम जिंदगी को खुद ही खास बना लो| उठकर सवेरे मन ही मन गुनगुनालो| हो जाए शाम तो बिना बात मुस्कुरा लो| दर्द को आंसुओं के दरिया में बहा लो| जीना इसी का नाम है|
Develop Your Life Philosophy, Values, and Goals The basic role of ‘philosophy’ is to ask questions, and think about the nature of human thought and the universe. Thus, a discussion of the philosophy of happiness in life can be seen as an examination of the very nature of happiness and what it means for the universe.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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