चमत्कारी आठ कटोरी जल शरीर में एक निश्चित मात्रा में गर्मी आवश्यक है। शरीर की यह कुदरती गर्मी जब कम हो जाती है, तब कई प्रकार की व्याधियां होती हैं। यह गर्मी जब बिल्कुल नष्ट हो जाती है, तब मृत्यु हो जाती है। अतः जीवन को सुरक्षित रखने के लिए शरीर में इस गर्मी को संचित रखने वाले पदार्थों की आवश्यकता रहती है।
ऐसे पदार्थों में जल सबसे उत्तम पदार्थ है, क्योंकि इससे किसी भी प्रकार का नुकसान न होते हुए शरीर को जितनी गर्मी की आवश्यकता होती है, उतनी गर्मी दी जा सकती है। इसके लिए पानी का एक बहुत सादा उपचार आठ कटोरी जल के नाम से प्रसिद्ध है।
जब मनुष्य को भयंकर रीति से बुखार चढ़ रहा हो, पेट में गैस बहुत हो, मूर्च्छा आई हो, उल्टी-दस्त होते हों, शरीर ठंडा पड़ गया हो या इसी प्रकार जान जोखिम में डालने वाले दूसरे लक्षण दिखते हों, तो ऐसी अवस्था में आठ कटोरी जल का प्रयोग प्रभावी है।
यह जल बनाने की विधि:
मिट्टी के बर्तन में 8 कटोरी पानी डालकर उसमें सोंठ, कालीमिर्च, पीपर, तज, लौंग, बायबिडंग 1.5-1.5 ग्राम और तुलसी तथा बेल के पत्ते 20-20 ग्राम डालकर आंच पर चढ़ाएं। जब जलते जलते 1 कटोरी पानी शेष रहे, तब उसे छानकर रोगी को पिलाएं।
इस प्रकार दिन में 3 बार पानी तैयार करके रोगी को पिलाने से चाहे जैसा बुखार हो, उतर जाता है। यदि बुखार बहुत ज्यादा हो और 8 कटोरी पानी से शांति ना हो, तो मिट्टी के बर्तन में 16-32 या 64 कटोरी पानी डालकर उबालें और एक कटोरी पानी रहने पर छानकर पिलाएं। यह और भी सफल सिद्ध होता है।
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