स्वेट मार्टेन ने लिखा है - 'संसार में ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है, जो धन के लिए अपने आपको बेचते नहीं, जिनके रोम-रोम में ईमानदारी भरी हुयी है, जिनके भीतर सत्य का दीपक प्रकाशित है, जिनकी अंतरात्मा दिग-दर्शक यंत्र की सुई के समान एक उज्ज्वल नक्षत्र की ओर देखा करती है, जो सत्य को प्रकट करने में क्रूर राक्षस का सामना करने से भी नहीं डरते हैं; जो कठिन कार्यों को देखकर हिचकिचाते नहीं, जो अपने आप का ढिंढोरा पीटे बिना ही साहस पूर्वक कार्य करते जाते हैं, मेरी दृष्टि में वे ही चरित्रवान आदमी हैं।
उत्कृष्ट चरित्र ही मानव जीवन की कसौटी है। यों तो धन, विद्या, कला, शक्ति आदि का भी मनुष्य के जीवन में अपना स्थान एवं महत्व है, किन्तु धर्म-बुद्धि द्वारा यदि इनका नियंत्रण नहीं होता, तो विपरीत ही सब मनुष्य और समाज के लिए अहितकर सिद्ध हो जाते हैं। मनुष्य निर्धन हो, अधिक विद्वान, शक्ति-प्रभुता सम्पन्न न भी हो तो भी जीवन की उपयोगिता और महत्ता में कोई कमी नहीं आती।
इसके विपरीत व्यक्ति इन सबसे सम्पन्न है, लेकिन चरित्रवान नहीं है, तो वह सबसे दीन-हीन व मलिन है। इससे न अपना भला हो सकेगा और न समाज का। उत्तम विचार वाला व्यक्ति समाज के लिए एक बहुत बड़ी सम्पत्ति है। विश्वकवि टैगोर के शब्दों में प्रतिभा से भी उच्च चरित्र का स्थान है।
स्माइल्स के कथन के अनुसार - "चरित्र एक सम्पत्ति है, अन्य संपत्तियों से भी महान। अन्य सम्पत्तियां अस्थायी हैं, परन्तु चरित्र की संपत्ति मानव जीवन की स्थायी निधि है।" जीवन की स्थायी सफलता का आधार मनुष्य का चरित्र ही है, इस आधार के बिना जैसे-तैसे सफलता प्राप्त कर भी ली जाए तो वह अधिक देर तक स्थायी नहीं हो सकती। व्यक्ति, राष्ट्र, परिवार आदि की स्थायी समृद्धि और विकास हमारे चारित्रिक स्तर पर ही निर्भर करता है।
चारित्रिक हीनता से ही शक्ति, समृद्धि और विकास का विघटन होता है। हमारे विचार, इच्छाएँ, आकांक्षाएँ और आचरण जैसे हैं, उन्हीं के अनुरूप हमारे चरित्र का गठन होता है। साथ ही जैसा हमारा चरित्र होता है वैसी ही हमारी दुनिया बनती है। हमारा जीवन, हमारा संसार सबकुछ हमारे चरित्र की ही देन है।
मनुष्य का चरित्र ही समस्त मानव जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। चरित्र न केवल धन, विद्या, कला और शक्ति के साथ-साथ मानवीय संघर्षों और उपलब्धियों को निर्धारित करने में मदद करता है, बल्कि यह समाज के और सभी व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है।
एक व्यक्ति की सभी संपत्तियां अस्थायी हो सकती हैं, लेकिन उसका चरित्र स्थायी निधि है। चरित्र के बिना, किसी भी सफलता का लाभ अस्थायी होता है। चरित्र एक व्यक्ति के विचारों, आकांक्षाओं, इच्छाओं और कार्यों का आधार होता है। चरित्रवान व्यक्ति की सत्य पूर्णता, ईमानदारी, साहस, और अपने आप में विकसित नैतिक मूल्यों का पालन होता है।
व्यक्ति, समाज, परिवार और राष्ट्र के स्थायी समृद्धि और विकास चरित्र पर निर्भर करते हैं। चरित्रहीनता से शक्ति, समृद्धि और विकास की विघटन होती है। हमारे चरित्र के आधार पर हमारे विचार, आकांक्षाएं, और आचरण निर्मित होते हैं, और हमारा जीवन और समाज हमारे चरित्र के आधार पर निर्मित होते हैं।
चरित्रवान और नैतिक वृत्तियों से संयुक्त व्यक्ति का महत्व अत्यंत महत्त्वपूर्ण है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। चरित्रवान जीवन न सिर्फ हमारे व्यक्तिगत विकास में मदद करता है, बल्कि समाज के साथी और सामर्थ्यवान नागरिक के रूप में हमारे समाज का निर्माण भी करता है।
चरित्र व्यक्ति के विभिन्न पहलुओं को समावेश करता है और उसका विकास उन विशेषताओं के माध्यम से होता है जो उसे एक नैतिक और ईमानदार व्यक्ति बनाते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है:
ईमानदारी: चरित्रवान व्यक्ति हमेशा सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलता है। वह अपने वचनों और प्रतिबद्धताओं का पालन करता है और दूसरों के साथ सच्चाई और न्याय का आचरण करता है।
धैर्य: चरित्रवान व्यक्ति को धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है। वह जीवन के कठिनाइयों और परिवर्तनों के साथ भी स्थिर रहता है और सहजता से समस्याओं का सामना करता है।
न्याय निष्ठा: चरित्रवान व्यक्ति न्यायपूर्ण और संयमित होता है। वह सबके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करता है और अनुचितता और अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।
सामरिकता: चरित्रवान व्यक्ति सामरिकता और सहभागिता का मान रखता है। वह अपने समाज और समूह के लिए उदार भावना रखता है और सेवा के माध्यम से समाज को सुधारने का प्रयास करता है।
सहानुभूति: चरित्रवान व्यक्ति दूसरों के दुःख और सुख में सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखाता है। वह दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहता है और उन्हें सम्मान और प्यार देता है।
सामरिक स्वाभिमान: चरित्रवान व्यक्ति अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान की परख करता है। वह अपने मूल्यों, मान्यताओं और योग्यताओं पर गर्व करता है और अपने स्वयं के और दूसरों के बारे में उच्च मान्यता रखता है।
स्वयं नियंत्रण: चरित्रवान व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, और कार्यों के लिए स्वयं नियंत्रण रखता है। वह अपने प्रतिबद्धताओं के जवाबदार होता है और अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करता है।
चरित्रवानता मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित करती है और हमें सही और नैतिक निर्णय लेने में मदद करती है। यह हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुष्टि और समृद्धि का माध्यम बनती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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