नदिया मे बहता-सा जल है, जीवन है तो मृत्यु अटल है। नदिया मे बहता-सा जल है जीवन है तो मृत्यु अटल है। कठिन समझना रहा कठिन ,पर सरल समझना कहाँ सरल है। जिसे उम्र भर समझ न पाये उसे समझने लगे न पल है। सदा-सदा को यहाँ न होगा वहाँ तना जो राजमहल है। जो निश्छल है वो ज्ञानी है जो ज्ञानी वो ही निश्छल है। सब देवों के पास भोग हैं शिवशंकर के कंठ गरल है। वो कैसे अभिमान करे,जिसने देखा रवि अस्ताचल है। उस निर्बल से डरकर रहना जिसमे धधका दावानल है दिनेश मालवीय "अश्क
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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