स्वामी योगानंद के अनुसार बच्चों में मिर्गी (Epilepsy in Children) की काफी समस्या रहती हैं। इसे दवाओं के द्वारा सही करने की कोशिश की जाती है, लेकिन इसे योगासनों के द्वारा सही किया जा सकता है।
मिर्गी (Epilepsy) की बीमारी एक गंभीर समस्या हो सकती है और बच्चों में इसे सही करने के लिए योगासन एक संभव उपाय हो सकता है। स्वामी योगानंद ने कुछ आसान योगासन बताए हैं जो बच्चे को मिर्गी की बीमारी से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं:
भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama): इस प्राणायाम को करने से बच्चे का मस्तिष्क शांत होता है और न्यूरोलॉजिकल प्रोसेस को सुधारने में मदद मिलती है। इसके लिए, बच्चे को नाक से सांस लेने के बाद अंदर की ओर अपने कानों को बंद करके उच्च स्वर में 'मम' की तरह भ्रामरी करनी है।
उष्ट्रासन (Ushtrasana): इस आसन को करने से पेट के अंदर के अंगों को फायदा होता है और इससे न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इसके लिए, बच्चे को घुटनों के बल बैठकर अपने पीठ को पीछे की ओर धकेलकर उच्च रखना होता है।
पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana): यह आसन बच्चे के दिमाग को शांत करता है और इससे न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इसके लिए, बच्चे को बैठकर पैरों को आगे बढ़ाना होता है और धीरे-धीरे अपने हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करनी होती है।
योग के आसनों को करने से पहले एक योग गुरु या व्यायाम विशेषज्ञ की मार्गदर्शन में करना बेहद महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से बच्चों के लिए योग के प्रशिक्षक के साथ संपर्क करके उचित तरीके से योगाभ्यास करने का सुनिश्चित करें। मिर्गी जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने के लिए सही चिकित्सा और दवाएँ लेना भी आवश्यक होता है, इसलिए बच्चे के डॉक्टर से इस बारे में परामर्श करें।
मिर्गी (Epilepsy) एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जो भारतीय मेडिकल विज्ञान में 'अपस्मार' के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग नर्वस सिस्टम की गतिविधियों में असामान्य और अनियंत्रित विद्युत आवृत्तियों के कारण होता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को अचानक अवस्था या सीजर (Seizure) होता है, जिसमें उन्हें बेहोशी, शरीर के ऐंठने, खिंचाव, और गर्मी महसूस हो सकती है।
बच्चों में मिर्गी के कुछ सामान्य लक्षण हैं:
* अचानक लापरवाही या अवसाद जैसी भावनाएं।
* अचानक छोटे या बड़े मल और पेशाब करने।
* आवाज के बदलने या गर्जन या गुँजने की अनैतिकता।
* आंखों का तेजी से आंदोलन।
* अचानक हाथ-पैर ऐंठने या तनाव में आना।
यदि आपके बच्चे को ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं और आप मिर्गी के संदेह से गुजर रहे हैं, तो उन्हें तुरंत एक चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। एक न्यूरोलॉजिस्ट या बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर आपके बच्चे की जांच करेगा और उचित उपचार योजना सुझाएगा।
यदि आपके बच्चे को पहली बार मिर्गी का आक्रमण हो रहा है तो उसकी सुरक्षा के लिए कुछ निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
* बच्चे को सुरक्षित जगह पर लिटा दें और उसके आसपास को खाली रखें।
* उसकी आंखें बंद करें और उसका सिर हल्का ऊपर की ओर टिल्ट करें।
* उसके आसपास को कोई भी तीखी चीजें जैसे कांटेदार या फायर के पास रखने से बचें।
* उसकी चुस्ती-फुस्ती बंद करने की कोशिश न करें।
* उसका सर्दी का पानी रखें।
* जब तक वह बिलकुल ठीक न हो जाए, उसके पास हमेशा किसी परिचित व्यक्ति को रखें।
यदि आपके बच्चे को दिन में कई बार मिर्गी का आक्रमण हो रहा है, तो उसके डॉक्टर से संपर्क करें और उपयुक्त इलाज करवाएं। ध्यान देने वाली बात है कि मिर्गी के रोगियों को नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और डॉक्टर के निर्देशानुसार इलाज करवाना जरूरी है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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