अनानास के इस तरह के प्रयोग से अच्छे से अच्छे रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं।
आयुर्वेद में अनानास के अनेक प्रयोग हैं हम कुछ प्रयोगों के बारे में बता रहे हैं अनानास को लेने से किस तरह से आप अपने कुछ रोगों से मुक्ति पा सकते हैं।
अनानास अत्यंत शीतल, स्वादिष्ट और खट्टेपन में कुछ मिठास लिए होता है। हृदय के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। इससे मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होती है, तथा प्यास और गर्मी भी नष्ट हो जाती है। इसका रस प्रोटीन युक्त पदार्थों को शीघ्र पचा देता है।
गले की सूजन-
अनानास खाने से गले की सूजन शीघ्र दूर हो जाती है।
रोहिणी-
अनानास का रस रोहिणी की झिल्ली को काट देता है, गला साफ रखता है व खराश को दूर करता है।
सूजन-
यदि शरीर की सूजन के साथ पेशाब कम आता हो, एल्ब्यूमिन भी पेशाब में जाता हो, यकृत बढ़ गया हो, मंदाग्नि हो, आंखों के आसपास भी सूजन हो, तो नित्य पका हुआ अनानास खाएं व भोजन न करके केवल दूध पर रहें। कुछ ही सप्ताहों में रोग दूर हो जाएगा।
फुंसियां-
अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है। रस भी पिया जाए, तो लाभ अतिशीघ्र होता है।
घबराहट-
अनानास का रस घबराहट दूर करता है, प्यास कम करता है, शरीर को पुष्ट कर तरावट देता है। दिल व दिमाग को ताकत देता है। इससे गर्मी दूर होती है, पेशाब खुलकर आता है व पथरी में भी लाभ होता है।
पेट में कांच या कांटा-
पके अनानास के छिले हुए टुकड़ों पर काली मिर्च और सेंधा नमक लगाकर खाने से किसी भी तरह से पेट में गया हुआ कांच, कांटा या बाल पेट में ही गल जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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