Published By:धर्म पुराण डेस्क

वैदिक इतिहास में चिरस्थाई रहेंगी ये पांच सतियां

स्त्री का पतिव्रता होना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में एक ही पति या पत्नी के साथ धर्म का पालन करना कर्तव्य माना जाता है। वैदिक संस्कृति में स्त्री का पतिव्रता अत्यधिक महत्वपूर्ण धर्म कर्म माना जाता है। इसलिए, इतिहास में कई महान स्त्रियां हैं जिनकी पतिव्रता की कहानियां प्रसिद्ध हुई हैं और उनके नाम वैदिक इतिहास के अमिट हिस्से बन गए हैं।

अनुसूया: पहली सती अनुसूया के बारे में जाना जाता है। वे ऋषि अत्रि की पत्नी थीं। एक बार त्रिदेवों ने यह विवाद किया कि सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता कौन है। इस बात की परीक्षा लेने के लिए अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) अनुसूया के आश्रम में ब्राह्मण के भेष में भिक्षा मांगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने पूरे वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे। तब अनुसूया ने अपने सतीत्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। अनुसूया ने देवी सीता को भी पतिव्रत धर्म का उपदेश दिया था।

द्रौपदी: द्रौपदी महाभारत की प्रमुख पात्री रही हैं। पांडवों की पत्नी द्रौपदी को वैदिक इतिहास में पांच कुमारियों में गिना जाता है। द्रौपदी के पिता राजा धृपद थे। एक प्रतियोगिता में अर्जुन ने द्रौपदी को जीत लिया था। वे पांडवों के साथ अपनी माता के पास गए और अर्जुन ने कहा, 'मां! हम आपके लिए एक अद्भुत भिक्षा लाए हैं।' माता कुंती ने उन्हें कहा, 'अपने आपस में उसे संपूर्णतः बाँट लो।' इस पर द्रौपदी ने पांडवों को पति के रूप में स्वीकार कर लिया।

सुलक्षणा: तीसरी सती सुलक्षणा हैं, जो रावण के पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत) की पत्नी थीं। उन्हें भी पंच सती में गिना जाता है।

सावित्री: चौथी सती है सावित्री, जो ऋषि अश्वपति की पुत्री थी। उनके पति का नाम सत्यवान था, जो राजा द्युमत्सेन के पुत्र थे। सावित्री ने अपनी तपस्या से सत्यवान को मृत्यु से छुड़ाया था। उनकी कथा के आधार पर सावित्री नामक व्रत प्रचलित है जिसे महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के आदर्श संबंधों को स्थायी बनाने और सुख-शांति लाने के लिए मान्यता प्राप्त है।

मंदोदरी: पांचवीं सती मंदोदरी हैं, जो रावण की पत्नी थीं। मंदोदरी रावण को सदैव उत्कृष्ट सलाह देती थीं और इसलिए उन्हें पंच सती में गिना जाता है। उनका योगदान महत्वपूर्ण था और कहा जाता है कि शतरंज के खेल का प्रारंभ मंदोदरी ने ही किया था।

इन पांच सतियों की कथाएं और उनकी पतिव्रता ने वैदिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखा है। ये सतियां अपने पतियों के लिए सदैव समर्पित रहीं और अपने पतिव्रता और धर्म के माध्यम से समाज के लिए एक मिसाल स्थापित की। वैदिक संस्कृति में स्त्री के पतिव्रता को महत्वपूर्ण माना जाता है और ये पांच सतियां उसी आदर्श की प्रतिष्ठा करती हैं।

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