Published By:धर्म पुराण डेस्क

भगवान परशुराम ने बनाए थे ये शिव मंदिर, आज भी इन राज्यों में हैं स्थित

भगवान परशुराम द्वारा बनाए गए शिव मंदिरों की प्राचीनता और महत्व ..

हिंदू धर्म की अवतार भूत परंपरा में भगवान परशुराम एक महत्वपूर्ण अवतार हैं। इन्होंने अपने तप और क्रोध के लिए जाने जाते हैं और महाविष्णु के छठे अवतार के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। 

परशुराम के माता-पिता ऋषि जमदग्नि और रेणुका थे। भगवान परशुराम भगवान शिव के आध्यात्मिक और निष्ठावान भक्त थे। उन्होंने महादेव के 108 मंदिरों की स्थापना की थी, जिनमें से कुछ मंदिर आज भी आध्यात्मिक महत्व रखते हैं।

परशुराम द्वारा स्थापित गोकर्ण और कन्याकुमारी के बीच के मंदिर ..

भगवान परशुराम ने गोकर्ण और कन्याकुमारी के बीच मंदिरों की स्थापना की थी, जिन्हें आज भी इन राज्यों में देखा जा सकता है। 

प्राचीन कथाओं के अनुसार, परशुराम ने केरल की पूरी भूमि को समुद्र से प्राप्त किया था। उन्होंने अपना फरसा त्याग दिया था और इस भूमि को 64 गांवों में विभाजित किया था। इनमें से 32 गांव आज के पेरुमपूझा और गोकरणम के बीच स्थित है। परशुराम ने इन गांवों को ब्राह्मणों को दान में दिया था।

ब्राह्मणों को दी गई जमीन और मंदिरों की स्थापना-

वैदिक ग्रंथों के अनुसार, परशुराम ने ब्राह्मणों को दिए गए जमीन के बाद इन गांवों में 108 महाशिव लिंग और दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की गयी। इन मंदिरों का जिक्र मलयालम भाषा में लिखे गए शिवाला स्तोत्रम में भी है। इन 108 मंदिरों में से 105 आज भी केरल राज्य में स्थित है, जबकि 2 मंदिर कर्नाटक में और एक मंदिर तमिलनाडु के कन्याकुमारी नगर में स्थित है।

इन मंदिरों की महत्वपूर्णता-

यहां कुछ प्रमुख मंदिरों का उल्लेख किया गया है:

* वाडाक्कुन्नाथन मंदिर, थ्रिसूर

* उदयपुर एकादशी पैर थिरुकोविल मंदिर, एर्नाकुलम

* रवि स्वरूपम शिव मंदिर, थ्रिसूर

* सुचिन्द्रम थानुमलायन मंदिर कन्याकुमारी

* चौवारा चिदंबर स्वामी मंदिर, कासरगोड

* एकांतेश्वर मंदिर, कोट्टायम

* तिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर, कासरगोड

इन मंदिरों को भगवान परशुराम के नाम से जाना जाता है और इन्हें भक्तों के बीच बहुत महत्व दिया जाता है। यहां शिव पार्वती देवी के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक आत्मीयता का संगम होता है। ये मंदिर भारतीय संस्कृति, धार्मिकता, और भक्ति के महान साक्षात्कार हैं।

वाडाक्कुन्नाथन मंदिर, थ्रिसूर: वाडाक्कुन्नाथन मंदिर भारतीय राज्य के केरल के थ्रिसूर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और केरल के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर की स्थापना परंपरागत रूप से परशुराम द्वारा की गई मानी जाती है। यह मंदिर आकर्षक स्थानीय वास्तुशिल्प की एक उत्कृष्ट उदाहरण है और परंपरागत केरलीय वास्तुकला के साथ मिलकर आदर्शता को दर्शाता है।

उदयपुर एकादशी पैर थिरुकोविल मंदिर, एर्नाकुलम: उदयपुर एकादशी पैर थिरुकोविल मंदिर एर्नाकुलम जिले, केरल में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल माना जाता है। इस मंदिर में वर्ष के एकादशी तिथि को एकादशी व्रत के साथ विशेष उत्सव मनाया जाता है जिसे "उदय एकादशी" के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव के दौरान भगवान विष्णु की प्रतिमा को एक विशेष प्रकार की पूजा की जाती है और भक्तों की भीड़ इस तीर्थस्थल में आती है।

रवि स्वरूपम शिव मंदिर, थ्रिसूर: रवि स्वरूपम शिव मंदिर थ्रिसूर जिले, केरल में स्थित है। यह एक प्रमुख शिव मंदिर है और शिव भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान शिव के रवि स्वरूपम की प्रतिमा स्थापित है और यहां भक्तों को शांति, सुख, और आध्यात्मिकता की अनुभूति मिलती है। इस मंदिर में विशेष धार्मिक आयोजन और पूजा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो शिव भक्तों को आकर्षित करते हैं।

सुचिन्द्रम थानुमलायन मंदिर, कन्याकुमारी: सुचिन्द्रम थानुमलायन मंदिर कन्याकुमारी, तमिलनाडु में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म के एक प्रमुख तीर्थस्थल माना जाता है और देवी कन्याकुमारी को समर्पित है। मंदिर का निर्माण चोल वंश के समय में हुआ था और इसे एक पुरानी और महत्वपूर्ण मंदिर के रूप में जाना जाता है। मंदिर में विशेष पूजा और आराधना की जाती है और भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव का आनंद मिलता है।

चौवारा चिदंबर स्वामी मंदिर, कासरगोड: चौवारा चिदंबर स्वामी मंदिर कासरगोड, केरल में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और शिव भक्तों की आकर्षण का केंद्र है। मंदिर एक खूबसूरत स्थल पर स्थित है और पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। यहां भक्तों को धार्मिक पूजा, आराधना, और ध्यान का मौका मिलता है और वे शांति और सुख का आनंद लेते हैं।

एकांतेश्वर मंदिर, कोट्टायम: एकांतेश्वर मंदिर कोट्टायम, केरल में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे केरल के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर का निर्माण केरलीय वास्तुकला के अनुरूप हुआ है और इसकी सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण यहां कई भक्त आते हैं।

थ्रिसूर के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है "वाडाक्कुन्नाथन मंदिर". यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह थ्रिसूर नगर के दीर्घकालिक स्थानीय पौराणिक धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय वास्तुकला के आदर्शों के अनुरूप किया गया है और इसकी वास्तुशिल्पीय सुंदरता भक्तों को आकर्षित करती है। इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है और यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि के उत्सव के दौरान भक्तों के बीच धार्मिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं।

एर्नाकुलम जिले में स्थित "उदयपुर एकादशी पैर थिरुकोविल मंदिर" भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में विशेष धार्मिक महत्व रखता है और यहां प्रतिवर्ष उदय एकादशी के दौरान विशेष पूजा और आराधना की जाती है। भक्तों की भीड़ इस तीर्थस्थल में आती है और अपने मनोकामनाएं पूरी करने के लिए यहां प्रार्थना करती हैं।

थ्रिसूर जिले में दो और महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं, जिनमें से एक है "रवि स्वरूपम शिव मंदिर" और दूसरा है "मथुरा शिव मंदिर". ये दोनों मंदिर शिव भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं और विशेष धार्मिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं। भक्त इन मंदिरों में शिव की पूजा और आराधना करते हैं और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव का आनंद मिलता है।

कन्याकुमारी में स्थित "सुचिन्द्रम थानुमलायन मंदिर" देवी कन्याकुमारी को समर्पित है। यह मंदिर तमिलनाडु के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है और इसे एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। मंदिर में भगवती कन्याकुमारी की प्रतिमा स्थापित है और यहां भक्तों को धार्मिक पूजा और आराधना का अवसर मिलता है।

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