Astrology of females.
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विभिन्न ग्रहों के स्त्रियों पर पड़ने वाले प्रभाव:
हमारे पौराणिक ग्रंथों एवं पुराणों में ग्रह नक्षत्रों से मनुष्यों पर होने वाले शुभ-अशुभ प्रभावों की जानकारी मिलती है। और अब तो विज्ञान भी इस तथ्य को स्वीकार कर चुका है कि ब्रह्मांड में विचरण करने वाले इन विभिन्न ग्रहों का मानव जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
प्रत्येक ग्रह का अपना एक अलग स्वभाव, एक अलग व्यक्तित्व होता है। नक्षत्रों के समूह से ही राशियां बनती है। राशियों पर ग्रहों का नियंत्रण होता है। ग्रहों के मिलने और अलग होने से शुभ-अशुभ योग बनते हैं। इस तरह हम जान सकते हैं कि ग्रहों के हमारी राशियों में विचरण करने से हम पर इसका कितना सीधा प्रभाव पड़ता है।
आज हम इन ग्रहों के स्त्रियों पर पड़ने वाले प्रभावों को जानेंगे। इन ग्रहों के अलग-अलग भावों में आने पर इनका स्त्रियों पर क्या प्रभाव पड़ता है आइये जाने ...!!
स्त्री जातक हेतु सूर्य का द्वादश भाव फल ..
प्रथम भाव में सूर्य:
जिस नारी के जन्म के समय लग्न में सूर्य स्थित हो वह स्त्री दुष्ट स्वभाव वाली, दुर्बल शरीर वाली, तीव्र रोगों से ग्रस्त, उपकार न मानने वाली, दूसरों के धन में रुचि रखने वाली और नीच जनों की सेवा करने वाली होती है।
प्रायः ऐसी स्त्री बाल्यावस्था में रोगिणी, आँख में कष्ट वाली और धन-पुत्रादि के सुख से रहित होती है। यदि स्वराशि का या उच्च का सूर्य लग्न में हो तो सुख से युक्ता होती है।
द्वितीय भाव में सूर्यः
धन भाव में सूर्य हो तो नेत्र रोग वाली, परिवार के सुख से रहिता, मध्यम प्रकार के धनवाली, कड़वी बात कहने वाली और मित्र रहित होती है। यदि सर्वोच्च या स्वराशि का सूर्य हो तो धनादि सुख की भागिनी होती है।
तृतीय भाव में सूर्य:
तृतीय भाव में सूर्य स्थित हो तो बालिका अत्यन्त स्वस्थ और सुन्दर शरीर वाली, सदैव प्रसन्न रहने वाली, भाई-बहन के सुखों से रहित, लेकिन पति-पुत्रादि के सुख से युक्त और दूसरों की रक्षा करने वाली होती है। ऐसी स्त्री के वक्ष का सौन्दर्य विशेष आकर्षक होता है।
चतुर्थ भाव में सूर्य:
जन्म के समय चतुर्थ स्थान में सूर्य हो तो वह स्त्री सुखी, सरल हृदय और सुन्दर पति वाली, संगीत, शिल्प और कला जानने वाली, सर्वदा प्रसन्न और उच्च राजकीय अधिकारी की पत्नी होती है। स्वेसदे प्रायः ऐसी स्त्री कम संतान वाली साधु सन्यासियों और ब्राह्मणों की सेवा करने वाली होती है। ये फल सूर्य की स्थिति शुभ होने से ही होते हैं।
पंचम भाव में सूर्य:
जिस स्त्री के जन्म के समय पंचम भाव में सूर्य स्थित हो वह स्त्रियों में प्रधान, व्रत-उपवास करने वाली स्थूल मुखी और बड़े दांत वाली पिता-माता की तरह प्रिय वचन बोलने वाली, अल्प-संतान वाली और ब्राह्मणों की भक्ता होती है।
कभी-कभी मेष और सिंह से भिन्न राशिस्थ पंचम सूर्य से बाल्यावस्था में रोगिणी, एक संतान वाली और धनहीना स्त्री भी देखी गयी है।
षष्ठ भाव में सूर्य:
षष्ठ भाव में सूर्य हो तो वह स्त्री शत्रु को जीतने वाली, सुन्दर अंगों वाली, परिजनों की रक्षा करने वाली, धन-पुत्रादि के सुख से युक्ता, उत्तम बुद्धि वाली और लोक में मान्या होती है। वह अत्यंत चतुर, धर्म में तत्पर, उत्तम भाग्यवाली और प्रिय स्वभाव की होती है।
सप्तम भाव में सूर्य:
जिस नारी के जन्म के समय सूर्य पति भाव में स्थित हो वह स्त्री अपने पति से तिरस्कृता, सम्पूर्ण सुखों से हीन, सदैव क्रोम के मूड में रहने वाली, कफ प्रकृति की पाप कर्म करने वाली और असुन्दरी होती है। प्रायः ऐसी स्त्री कपिलनेत्रा होती है।
अष्टम भाव में सूर्य:
मृत्यु भाव में सूर्य बैठा हो तो स्त्री चंचल स्वभाव वाली यन का त्याग करने वाली, रोगिणी, दुःशीला मलीना और पति के सुख में हीना होती है। प्रायः ऐसी स्त्री रक्तचाप की अस्तव्यस्तता से ग्रस्त होती है।
नवम भाव में सूर्य:
जिस नारी के जन्म के समय धर्म भाव में सूर्य स्थित हो वह साहसी, धर्मप्रिया, भाग्य में कमी पाने वाली, बहुत शत्रुओं वाली, रोगिणी और वैभव से हीन होती है।
ग्रन्थान्तर के अनुसार-
धर्मस्थे के सुकेशी सत्यवादिनी। बाले रोगयुक्ता मध्ये सुखिताऽन्ये च दुःखिता।।
दशम भाव में सूर्य:
जिस स्त्री के कर्म भाव में सूर्य स्थित हो वह सदैव रोग से पीड़िता, कुकर्मिणी तेजोहीना, नाच गानों में विशेष प्रेम रखने वाली और कुछ अभिमानी होती है।
एकादश भाव में सूर्य:
जिस नारी की जन्म कुंडली में लाभ भाव में सूर्य हो वह नारी पुत्र-पौत्र युक्ता, इन्द्रियों को वश में रखने वाली, सर्व कलाओं में निपुण, बन्धु वर्ग में माननीया, सुन्दरी, सुशीला, प्रसन्नता और क्षमाशीला होती है।
द्वादश भाव में सूर्य:
जिस नारी के जन्म के समय व्यय भाव में सूर्य स्थित हो वह स्त्री अशुभ कार्यों में धन खर्च करने वाली, नम्रता रहित, शराब आदि मादक पदार्थों का पान करने वाली, भक्ष्याभक्ष्य का विचार न रखने वाली, शुचिता-रहिता और उद्धत स्वभाव व वृत्ति वाली होती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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