 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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अपने जीवन की खुशी और समृद्धि की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें। आप खुद अपने जीवन के निर्माता हैं और आपकी खुशियां भी आपके अंदर हैं।
खुशी को अपनी मूल प्रकृति मानें। आपकी खुशी आपके भीतर है और इसे बाहर से प्राप्त नहीं किया जा सकता।
वस्तुओं के महत्व को पहचानें और उनसे ज्यादा उन्हें बदलने पर ध्यान न दें। जिस तरह से सूर्य, फूल, और सितारे अपने नियमित क्रियाएं करते हैं, वैसे ही आप भी नियमितता और उत्साह के साथ अपने जीवन का आनंद उठा सकते हैं।
अपने मन को उसके असली रूप में देखें और उससे बेहतर रूप से निपटें। आपके मन में आने वाले विचार और भावनाएं अपने असली रूप को नहीं परिभाषित करते।
खुद के बुनियादी अस्तित्व की ओर ध्यान दें। आपका जीवन आपके मन के उस भाव के साथ जुड़ा है, जो आपके अस्तित्व के मूल तत्व को दर्शाता है।
अपने जीवन को खुशी से भर दें। सुबह उठते ही मुस्कुराने से शुरुआत करें और खुशी को अपने जीवन में व्यक्त करें।
खुद को याद दिलाएं कि आप जीवित हों और अपने जीवन के गहरे अर्थ को समझें।
अपने अंदर की बदलाव को अपनाएं और उसे ध्यान में रखें। दूसरों से तुलना करना छोड़ दें और अपने जीवन की वास्तविकता को स्वीकारें।
आपके जीवन को आनंद से भरने के लिए समय निकालें और खुद को खुश रखने के लिए समर्पित करें।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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