यह कथन जीवन में सच्ची खुशी और संतोष का रहस्य बताता है। यह हमें सिखाता है कि बाहरी सुख-सुविधाओं पर निर्भर रहने के बजाय, हमें अपनी खुशी को अपने अंदर ही ढूंढना चाहिए।
इस कथन के पीछे कई कारण हैं:
सुख-सुविधाएं क्षणभंगुर होती हैं:
बाहरी सुख-सुविधाएं स्थायी नहीं होती हैं। वे जल्दी ही अपनी चमक खो देती हैं और हमें नई चीजों की तलाश में छोड़ देती हैं।
आंतरिक खुशी स्थायी होती है:
आंतरिक खुशी बाहरी सुख-सुविधाओं पर निर्भर नहीं होती है। यह हमारे मन और आत्मा से आती है और स्थायी होती है।
अभाव हमें सच्चे मूल्यों का महत्व समझाते हैं:
जब हम अभावों का सामना करते हैं, तो हम सच्चे मूल्यों का महत्व समझने लगते हैं। हम उन चीजों के लिए आभारी होने लगते हैं जो हमारे पास हैं।
मोह त्यागने से हमें स्वतंत्रता मिलती है:
जब हम सुख-सुविधाओं का मोह त्याग देते हैं, तो हमें स्वतंत्रता मिलती है। हम बाहरी चीजों पर निर्भर रहने के बजाय, अपने जीवन को अपनी मर्जी से जी सकते हैं।
इस कथन से हमें निम्नलिखित शिक्षा मिलती है:
अपनी खुशी को अपने अंदर ही ढूंढे: बाहरी सुख-सुविधाओं पर निर्भर रहने के बजाय, हमें अपनी खुशी को अपने अंदर ही ढूंढना चाहिए।
संतोष का भाव रखें: जो हमारे पास है, उसके लिए संतोष का भाव रखें।
अभावों को स्वीकार करें: जीवन में अभावों को स्वीकार करें और उनसे सीखे।
मोह त्यागें: सुख-सुविधाओं का मोह त्यागें और स्वतंत्र जीवन जिएं।
जो लोग सुख-सुविधा की चीजों का मोह छोड़ देते हैं, वे अभावों में भी प्रसन्न रहते हैं। यह कथन जीवन में सच्ची खुशी और संतोष का रहस्य बताता है। यदि हम इस कथन को अपने जीवन में उतारेंगे, तो निश्चित रूप से हम एक खुशहाल और संतोषजनक जीवन जी सकते हैं।
यहाँ कुछ प्रेरणादायक उदाहरण दिए गए हैं:
महात्मा गांधी: महात्मा गांधी ने सादगी और संतोष का जीवन जीया। उन्होंने सुख-सुविधाओं का मोह त्याग दिया और अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।
मदर टेरेसा: मदर टेरेसा ने अपना जीवन गरीबों, बीमारों और बेसहारा लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने सुख-सुविधाओं का मोह त्याग दिया और दूसरों की मदद करने में अपना जीवन व्यतीत किया।
एपीजे अब्दुल कलाम: एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक और शिक्षाविद् थे। उन्होंने सादगी और संतोष का जीवन जीया। उन्होंने सुख-सुविधाओं का मोह त्याग दिया और अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।
इन प्रेरणादायक उदाहरणों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और सुख-सुविधाओं का मोह त्याग कर एक खुशहाल और संतोषजनक जीवन जीना चाहिए।
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