व्यावसायिक दुनिया में एक शब्द है जिसे सब जगह सुना जाता है - कैपिटल, जिसे हम पूंजी के नाम से भी जानते हैं। लोग जो इस दुनिया में सफल हैं और जो इस दुनिया में संघर्ष कर रहे हैं, उनके पास तीन प्रकार के कैपिटल होते हैं - मोरल कैपिटल, सोशल कैपिटल, और फैमिली कैपिटल।
1. मोरल कैपिटल:
मोरल कैपिटल की कमी से व्यक्ति अपने चरित्र में पतन करता है। इसमें सत्कर्मों के प्रति विरोध का भाव जागता है और वह अपनी दिनचर्या में असत्यता और अनैतिकता का सामना करता है। चरित्र ही व्यक्ति की असली पहचान है और यह उसकी मोरल कैपिटल को प्रभावित करता है।
आज की व्यावसायिक दुनिया में जो लोग चाहते हैं कि उनका कारोबार सफल हो, वे सोचे कि मोरल कैपिटल पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आपका चरित्र सुदृढ़ है, तो आपके कर्मों में सफलता की दिशा में रुकावटें नहीं आएगी।
2. सोशल कैपिटल:
सोशल कैपिटल में कमी से व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है और उसे अपनी तंगीओं का सामना करना पड़ता है। आत्मनिर्भरता और अकेलापन का सामर्थ्य छूट जाता है, जिससे उसका सामाजिक संबंध भी प्रभावित होता है।
अकेलापन व्यक्ति को अनिश्चितता में डाल सकता है और वह गलत लोगों से जुड़ सकता है। इसलिए, सोशल कैपिटल को बनाए रखना आवश्यक है। सही सामाजिक संबंधों का अनुरक्षण करना, सहयोग और समर्थन प्रदान करना आपको आत्मनिर्भर बनाए रख सकता है।
3. फैमिली कैपिटल:
फैमिली कैपिटल की कमी से व्यक्ति को आत्मनिर्भरता में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परिवार का समर्थन और स्नेह ही व्यक्ति को उसकी दुनियाओं में सुरक्षा और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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