सूरज की किरणों से प्राकृतिक सौन्दर्य में चमक आती है, लेकिन समय के साथ यही सूर्य आकाश में अपनी गोदी में लिपट जाता है। इसी तरह, हमारे जीवन में भी तीन संध्याएँ हैं जो हमें आध्यात्मिक रूप से सुंदरता और शांति की दिशा में अग्रसर करने का अवसर प्रदान करती हैं।
"प्रातः संध्या: आरंभ नये दिन की"
प्रातः संध्या, सूर्योदय के पहले समय, नए दिन की शुरुआत का संकेत होती है। इस समय भगवान के नाम का जप, प्राणायाम और ध्यान करने से हम अपने मन को शुद्ध करते हैं और नए दिन के साथ नए उत्साह के साथ आगे बढ़ने की स्थिति में आते हैं।
"दोपहर संध्या: शांति और पुनर्जीवन का समय"
दोपहर संध्या, दिन की मध्य अवधि, हमें शांति का अवसर प्रदान करती है। यह समय अपने आप में पुनर्जीवन की भावना लाता है, हमें उस अंतरात्मा के प्रति संवाद का मार्ग प्रशस्त करता है जो हमारे अंतरात्मा की गहराइयों में छिपी होती है।
"सायं संध्या: चिंताओं को पार करने का मार्ग"
सायं संध्या, सूर्यास्त के समय, हमें दिन की गतिविधियों का समापन करने का अवसर प्रदान करती है। इस समय हम अपने मन की चिंताओं को पार करने का मार्ग ढूंढ सकते हैं और आध्यात्मिक ऊर्जा को नवीनीकरण कर सकते हैं।
भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे महान आदर्शों ने भी तीन संध्याओं का पालन किया और हमें आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया। बच्चों को भी यह अद्भुत प्रथा अपने जीवन में अपनाने का प्रेरणा स्रोत मिलना चाहिए। इस प्रकार, तीन संध्याओं के माध्यम से हम आध्यात्मिक विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम आगे बढ़ सकते हैं।
इस प्रकार, हमें तीनों संध्याओं के महत्व को समझते हुए बच्चों को भी यह महत्वपूर्ण प्रथा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। तीन हमें यह शिक्षा देते हैं कि आध्यात्मिक अभ्यास हमारे जीवन की हर दिन की एक सशक्ति हो सकती है और हम उच्चतम आदर्शों की दिशा में प्रगति कर सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024