 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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चार धाम के दर्शन करने से सभी प्रकार के पाप दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। यह चार धाम चारों दिशाओं में स्थित है। उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका। इस चारधाम को प्राचीन काल से तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। लेकिन इसके महत्व का प्रचार जगतगुरु शंकराचार्य जी ने किया था।
शास्त्रों के अनुसार प्राचीन तीर्थ स्थल के दर्शन करने से पौराणिक कथाओं के ज्ञान में वृद्धि होती है। देवी-देवताओं से जुड़ी कहानियां और परंपराएं जानी जाती हैं।
प्राचीन संस्कृति को जानने का अवसर मिलता। मंदिर के पंडितों और आसपास रहने वाले लोगों से संपर्क किया जाए ताकि अलग-अलग रीति-रिवाजों को जानने का मौका मिले।
भगवान और भक्ति से जुड़ी मान्यताओं का ज्ञान। जिसका लाभ दैनिक जीवन की उपासना में मिलता है। चारधाम को अलग-अलग दिशाओं में स्थापित किया गया है।
यह मंदिर बद्रीनाथ के रूप में भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। इसकी स्थापना पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। इस मंदिर में नर-नारायण की पूजा की जाती है और अखंड दीपक जलाया जाता है।
यह दीपक अमर ज्ञान का प्रतीक है। यहां भक्त तप्त कुंड में स्नान करते हैं। यहां वन तुलसी की माला, कच्ची दाल, नारियल और मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के अंतिम दिनों या मई की शुरुआत में दर्शन के लिए खोले जाते हैं। करीब 6 महीने की पूजा के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर फिर से बंद कर दिया जाता है।
रामेश्वरम तीर्थ तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे स्थित है। जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां लिंग के रूप में शिवजी की पूजा की जाती है।
यह ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर एक सुंदर शंख के आकार का द्वीप है जो हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना भगवान राम ने की थी।
यह वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित है। मंदिर में तीन मुख्य देवता हैं, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा।
यह तीर्थ पुराणों में वर्णित 7 पवित्र पुरी में से एक है। यहां हर साल रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के लिए दुनिया भर से भगवान कृष्ण के भक्त आते हैं। यहां मुख्य रूप से चावल का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
गुजरात में समुद्र के किनारे स्थित द्वारका धाम चार धामों में से एक है। यह भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है। यह तीर्थ पुराणों में वर्णित सात पुरी में से एक है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण निवास करते थे।
स्थानीय लोगों और कुछ शास्त्रों के अनुसार मूल द्वारका पानी में डूबा हुआ है, लेकिन कृष्ण की यह भूमि आज भी पूजनीय है। इसलिए द्वारका धाम में भगवान कृष्ण के स्वरूप की पूजा की जाती है।
 
 
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