होलाष्टक के कारण 9 मार्च से 17 मार्च तक सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे।
इन दिनों में क्या करें:
इन दिनों विष्णु भक्त प्रह्लाद ने स्वयं भगवान विष्णु की पूजा की और स्वयं भगवान ने उनकी सहायता की। तो होलाष्टक के दौरान स्नान, जाप, देवी-देवताओं की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा का कथन है। इस बीच मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान, यज्ञ आदि करना चाहिए ताकि सभी कठिनाइयों से छुटकारा मिल सके।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भक्तों को सभी प्रकार के रोगों और व्याधियों से मुक्ति मिलती है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान मुख्य रूप से विवाह, गृह प्रवेश, हजामत बनाने और अन्य शुभ कार्यों की मनाही है।
कौन से शुभ कार्य नहीं करने चाहिए:
होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान मुख्य रूप से विवाह, गृह प्रवेश, हजामत बनाने और अन्य शुभ कार्यों की मनाही है। इसके अलावा नया घर, वाहन आदि खरीदना, व्यापार आदि भी इन दिनों शुरू नहीं करना चाहिए।
अच्छे कर्म क्यों नहीं किये जाते:
ऐसा माना जाता है कि इन 8 दिनों के दौरान, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति को दूर करने के लिए प्रताड़ित किया था। लेकिन विष्णु की कृपा से प्रह्लाद ने हर कठिनाई का सामना किया।
हिरण्यकश्यप ने तब अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आशीर्वाद था कि वह आग में नहीं जलेगी, इसलिए उसने प्रहलाद को अपनी गोद में रखा और आग में बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया लेकिन होलिका आग में जल गई। तो ये आठ दिन विष्णु भक्त प्रहलाद के लिए कठिन समय थे, इसलिए होलाष्टक का समय अशुभ माना जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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