Published By:धर्म पुराण डेस्क

बुरा करना घातक है और बुरा सुनना पातक

सुमंगल सुविचार      

जो लोग आपके सामने दूसरों की बुराई करते हैं, सच समझना निश्चित ही वो लोग दूसरों से आपकी बुराई भी करते होंगे। 

बुरा करना ही गलत नहीं है अपितु बुरा सुनना भी गलत है। अतः बुरा करना घातक है और बुरा सुनना पातक (पाप) है। प्रयास करो दोनों से बचने का।

विचारों का प्रदूषण वो प्रदूषण है जिसे मिटाना विज्ञान के लिए भी संभव नहीं है। इसका कारण हमारी वो आदतें हैं जिन्हें किसी की बुराई सुनने में रस आने लगता है। 

बुराई को सुनना, बुराई को चुनना जैसा ही है क्योंकि जब हम बुराई सुनना पसंद करते हैं तो बुराई का प्रवेश हमारे जीवन में स्वतः होने लगता है।

जो हम रोज सुनते हैं, देखते हैं, वही हम भी होने लग जाते हैं। अतः उन लोगों से अवश्य ही सावधान रहने की जरुरत है जिन्हें दूसरों की बुराई करने का शौक चढ़ गया हो।

"जिसके भाग्य में पराजय लिखी हो, ईश्वर उसकी बुद्धि पहले ही हर लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें नहीं दिखाई देती, वह केवल बुरा-ही-बुरा देख पाता है"!

पंकज पाराशर


 

धर्म जगत

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