Published By:धर्म पुराण डेस्क

आज है पापमोचनी एकादशी, जानें पूजा का मुहूर्त और पारण समय 

पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। 

पापमोचनी एकादशी के दिन किसी की निंदा और झूठ बोलने से बचना चाहिए। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या, स्वर्ण चोरी, मदिरापान, अहिंसा और भ्रूणघात समेत अनेक घोर पापों के दोष से मुक्ति मिलती है। 

एकादशी तिथि की शुरुआत कल यानी 17 मार्च से शुरू हो चुकी है। आज 18 मार्च तक पापमोचनी एकादशी 11 बजकर 13 मिनट तक मान्य रहेगी। एकादशी का व्रत 18 मार्च, 2023 शनिवार के दिन रखा जाएगा।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 मार्च दिन शुक्रवार को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से शुरू हो गई है और यह तिथि 18 मार्च शनिवार तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि-

समस्त पापों को नष्ट करने वाली पापमोचनी एकादशी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:

1. एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करें।

2. इसके बाद भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करें और पूजन के उपरांत भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल आदि अर्पित करके आरती करनी चाहिए।

3. इस दिन भिक्षुक, जरूरतमंद व्यक्ति व ब्राह्मणों को दान और भोजन अवश्य कराना चाहिए।

4. पापमोचनी एकादशी पर रात्रि में निराहार रहकर जागरण करना चाहिए और अगले दिन द्वादशी पर पारण के बाद व्रत खोलना चाहिए।

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा शुरू करें. इस दिन की पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है। पूजा में भगवान विष्णु को धूप, दीप, चंदन, फल, फूल, भोग, आदि अर्पित करें।

इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करना भी बेहद शुभ फलदायी होता है। हालांकि एकादशी तिथि पर तुलसी तोड़ना अशुभ माना गया है। ऐसे में आप चाहे को एकादशी से एक दिन पूर्व ही तुलसी के पत्ते तोड़ पूजा में भगवान विष्णु को धूप, दीप, चंदन, फल, फूल, भोग, आदि अर्पित कर सकते है। 

इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करना भी बेहद शुभ फलदाई होता है। हालांकि एकादशी तिथि पर तुलसी तोड़ना अशुभ माना गया है। ऐसे में आप चाहे को एकादशी से एक दिन पूर्व ही तुलसी के पत्ते तोड़ कर रख सकते हैं और फिर इसे अगले दिन की पूजा में शामिल कर सकते हैं। पूजा के बाद इस दिन से संबंधित व्रत कथा पढ़ें, सुनें और दूसरों को सुनाएं। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।

एकादशी तिथि से संबंधित महत्वपूर्ण नियम-

एकादशी तिथि से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन रात्रि जागरण करना शुभ रहता है। ऐसे में आप इस दिन निराहार रहकर जागरण करें और अगले दिन यानी द्वादशी व्रत का पारण करने से पहले पूजा अवश्य करें और मुमकिन हो तो अपनी यथाशक्ति के अनुसार जरूरतमंद व्यक्तियों, किसी योग्य ब्राह्मण को दान पुण्य अवश्य करें।


 

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