 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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त्रिकाल संध्या, एक आध्यात्मिक साधना है जो हमें दिन के तीन महत्वपूर्ण समयों में प्राणायाम, जप, ध्यान आदि के माध्यम से आत्मा के साथ संवाद करने का अवसर प्रदान करती है। इस साधना से हम आध्यात्मिक विकास की दिशा में प्रगति कर सकते हैं और अपने जीवन को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से समृद्ध कर सकते हैं।
त्रिकाल संध्या का समय-
त्रिकाल संध्या का समय सूर्योदय से 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक, दोपहर के 12 बजे से 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक, और सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक होता है। यह समय त्रिकाल संध्या कहलाता है और इस समय में आध्यात्मिक अभ्यास करने से उसका लाभ अधिक होता है।
त्रिकाल संध्या की महत्वपूर्णता-
त्रिकाल संध्या आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधना है। इस साधना के माध्यम से हम अपनी आत्मा के साथ जुड़ सकते हैं, जो हमारे जीवन को मानसिक शांति, समृद्धि और सफलता की दिशा में अग्रसर करता है। त्रिकाल संध्या करने से हमारे मानसिक स्थिति में सुधार होता है, जिससे हम अपने दिनचर्या को सही दिशा में ले सकते हैं।
त्रिकाल संध्या के लाभ-
त्रिकाल संध्या करने से न केवल आध्यात्मिक विकास होता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। यह हमें आत्म-संयम, स्थिरता, और आत्म-नियंत्रण में मदद करता है। त्रिकाल संध्या से हमारा मन शांत होता है और हम अपने जीवन के कार्यों में सहजता से समर्पित हो सकते हैं।
त्रिकाल संध्या का आदर्श-
त्रिकाल संध्या के आदर्श महापुरुषों और आध्यात्मिक गुरुओं ने दिखाया है। वे इस साधना को अपने जीवन में प्राथमिकता देते थे और इसके माध्यम से आत्मा के साथ जुड़ कर उच्च स्तर की आध्यात्मिकता प्राप्त करते थे।
समापन-
त्रिकाल संध्या एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक साधना है जो हमें आत्मा के साथ जुड़ने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रगति करने का अवसर प्रदान करती है। इसके माध्यम से हम अपने जीवन को समृद्धि, शांति और सहजता से भर सकते हैं।
त्रिकाल संध्या के नियमित अभ्यास से हम आत्मा के साथ एक गहरा संवाद स्थापित कर सकते हैं और अपने जीवन को सफलता की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं।
 
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