 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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यह एक अद्भुत सफर है जिसमें हर व्यक्ति अपनी दृष्टि, भावनाओं, और धार्मिक सांस्कृतिक मूल्यों के अनुसार भगवान की खोज में निरंतर अग्रसर है।
हमारे समाज में अक्सर यह सोचा जाता है कि भगवान का साकार रूप हिम्मत और तपस्या के माध्यम से ही संभव है। लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा है कि वास्तविकता में भगवान का साकारिक रूप हमारे बच्चों के साथ हो सकता है? जी हां, जब हम अपने बच्चों के साथ हैं और उन्हें प्यार देते हैं, तो उस समय ही हम भगवान से मिलते हैं।
बच्चों के साथ भगवान का संबंध:
बच्चों की मुस्कान, उनकी मासूमियत, और उनकी नीरजता हमें वह अनुभूति कराती है जो कहीं ना कहीं भगवान के साथ होता है। जब हम अपने बच्चों को देखते हैं, तो हम भगवान की आत्मा को महसूस करते हैं जो हर रूप में हमारे साथ हैं।
बच्चों की उपस्थिति में हमारा मन सरल होता है। हम उनके साथ समय बिताने के बाद अपने आत्मविकास में सुधार महसूस करते हैं। उनकी खुशी, उनका हंसी मन को बहुत ही प्रभावित करता है और हम अपने आत्मा के उद्दीपन की अनुभूति करते हैं।
खेल का महत्व:
खेल बच्चों के साथ सही संबंध बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। जब हम बच्चों के साथ खेलते हैं, तो हम उन्हें सिखाते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविकास, सहनशीलता और सहयोग की आवश्यकता होती है।
बच्चों के साथ समय बिताना:
आप कितने ही व्यस्त क्यों न हों, थोड़ा समय अपने बच्चों के साथ जरूर बिताएं। उनके साथ खेलना, उनकी सुनना, और उनके साथ समय बिताना वे लम्हे होते हैं जो भगवान के साथ मिलन के समान होते हैं। इससे हम अपने बच्चों के साथ सच्चा संबंध बना सकते हैं और जीवन की सबसे मूल्यवान राहों में से एक में चल सकते हैं।
अच्छे बच्चों के साथ समय बिताना भगवान के साथ मिलन का एक सच्चा रूप है। बच्चों के साथ हम भगवान की प्राकृतिकता का आनंद लेते हैं और उनसे सीखते हैं कि जीवन का सही मतलब है सरलता, प्यार, और सहयोग से भरा होता है। इसलिए, बच्चों के साथ सही संबंध बनाए रखना हमें भगवान के साथ मिलन की अद्भुतता को समझाता है और हमें सच्चे सुख और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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