Published By:धर्म पुराण डेस्क

कृष्ण का सार्वभौमिक दृष्टिकोण: जन्माष्टमी से आगे का संदेश

श्री कृष्ण के जीवन से सीखें:

दोस्ती का महत्व: कृष्ण की जीवनी से हमें दोस्ती और साथीपन का महत्व सीखने को मिलता है। कृष्ण ने अपने सखाओं और गोपियों के साथ अनूठी दोस्ती को दर्शाया है, जिससे हमें सहयोग, समर्थन और विश्वास की महत्वपूर्णता समझने को मिलती है।

अन्यों के प्रति सहानुभूति: कृष्ण ने अपने जीवन में दूसरों के दुःखों में सहानुभूति और सहानुता का संदेश दिया है। हमें भी अपने आस-पास के लोगों के साथीपन में रहकर उनके साथ बन्धुत्व को समझना चाहिए।

ज्ञान और विवेक का महत्व: कृष्ण ने भगवत गीता के माध्यम से जीवन के अनेक महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उपदेश दिया। उनके उपदेशों से हमें धर्म, कर्म, और जीवन के उद्दीपने में मदद मिलती है।

महिलाओं का सम्मान: कृष्ण ने गोपियों के साथ रास लीला के माध्यम से महिलाओं का सम्मान किया और उन्हें अपने साथ साझा किया। हमें इससे महिलाओं का सम्मान करने और उन्हें उच्च स्थान पर स्थापित करने का सीखने को मिलता है।

अपने कर्तव्यों का पालन: कृष्ण ने अपने जीवन में अपने कर्तव्यों का पालन किया और उन्हें धर्मपरायणता के साथ निभाया। हमें इससे अपने कर्तव्यों का पालन करने की जिम्मेदारी और समर्पण से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है।

जन्माष्टमी का सच्चा अर्थ:

जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाना नहीं, बल्कि उनके जीवन और उपदेशों को याद करके उनके दिखाए गए मार्ग का पालन करना है। इस अवसर पर हमें श्री कृष्ण के सानिध्य में आत्मविकास, उद्दीपन, और सार्वभौमिक समर्पण की भावना को अपने जीवन में लागू करने का संकल्प लेना चाहिए।

इस रूप में, हम श्री कृष्ण के साथ अपने जीवन को संरचित करके सच्चे अर्थ में जन्माष्टमी का आदर्श उत्सव मना सकते हैं।

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