 Published By:धर्म पुराण डेस्क
 Published By:धर्म पुराण डेस्क
					 
					
                    .jpg)
एक दार्शनिक भी यही बात पूछ रहा है। यदि भगवान बुद्ध से यह पूछे कि यह संसार कहाँ से आया तो वे कहेंगे कि यह बहुत बचकानी बात है, तुम्हारा इससे लेना-देना क्या है? और चाहे जो भी कारण हो, यह बात ही असंगत है। वे कहते हैं, यदि तुम बीमार हो तो दवा के लिये पूंछों। भगवान बुद्ध कहते हैं कि हम सब दुखी हैं, जीवन दुःख है, अतः प्रश्न यह है कि कैसे उस दुःख के पार जाया जाये?
यही अन्तर है। मुक्ति की खोज दुःख के विरुद्ध है। भारतीय मन मनोवैज्ञानिक अधिक है, चिंतनशील कम है- वह मनुष्य के वास्तविक रूपांतरण से अधिक संबंधित है और व्यर्थ की उत्सुकता में उसका बहुत कम रस है।
वस्तुतः पद्धति ठीक शब्द नहीं हैं। संस्कृत में उन्हें संप्रदाय कहते हैं-न कि पद्धतियाँ या प्रणालियाँ। एक संप्रदाय अथवा स्कूल एक दूसरी ही बात है और एक पद्धति, एक दूसरी बात है। एक सिस्टम का अर्थ होता है कि वह दार्शनिक है, और एक स्कूल का अर्थ होता है एक प्रशिक्षण का स्थान।
एक स्कूल का अर्थ होता है कि तुम्हें किसी विशेष अनुभव के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये सारे नौ दर्शन एक प्रकार से प्रशिक्षण हैं-मोक्ष के अन्तिम लक्ष्य की ओर जाने के लिये प्रशिक्षण।
चूँकि हम उसके बारे में दर्शन-शास्त्र की तरह सोचते हैं, हम बहुत कुछ चूक रहे हैं। यह पश्चिमी मन की सिर्फ नकल है। जिस तरह से वे दर्शन-शास्त्र पढ़ाते हैं और पढ़ते हैं पश्चिम में, उस तरह पूर्व में कभी भी पढ़ते-पढ़ाते नहीं थे, किन्तु आजकल हमारे विश्वविद्यालय भी पश्चिम की ही नकल हैं।
नालंदा बिल्कुल ही भिन्न था। तक्षशिला एकदम अलग ही था। वे पूर्वीय विश्वविद्यालय थे- जो कि बिल्कुल ही भिन्न थे- मौलिक रूप से भिन्न। नालंदा में सिर्फ बौद्ध दर्शन पढ़ाया जाता था। और वहाँ क्या था प्रशिक्षण? वहाँ प्रशिक्षण सिर्फ मौखिक, सिर्फ शास्त्र-संबंधी, सिर्फ मात्र जानना ही नहीं था कि बौद्ध दर्शन क्या है। वहाँ प्रशिक्षण बौद्ध योग का था।
शिष्य पहले मौखिक शिक्षा का पालन करता था और तब साथ-साथ ध्यान में गहरे, और गहरे, और गहरे जाता था। जब तक ध्यान और मौखिक शिक्षा साथ-साथ न चले, तब तक सब व्यर्थ है।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                