क्या यह सच है कि अपने हाथों से अपने जीवन का अंत करने के लिए बल और साहस चाहिए? यह सच नहीं है। अपने जीवन का अंत करने की आपकी इच्छा का मतलब यह है कि आपको अपनी जीवात्मा को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
विश्वास रखिए कि यह ताकत आपके अन्दर है और यह भी जानिए कि ईथर आपको ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं करने देते जिसे आप संभाल न सका। आप में शक्ति है, इसका उपयोग कीजिए।
दूसरी गलत अवधारणा यह है कि कभी-कभी आत्महत्या करना सम्मान जनक होता है। अपने जीवन का स्वयं अंत करना कोई 'सम्मान' की बात नहीं है। आपकी आत्मा को पृथ्वी पर अपने कर्तव्य और जीवन कार्य पूरे करने के लिए जिस वाहन (शरीर) की जरूरत है, उसी को नष्ट कर आप अपनी आत्मा का अपमान न करें।
सम्मानित मनुष्य बनने के लिए जिम्मेदारी उठाइए और वही कीजिए जो आध्यात्मिक रूप से सही है। बहुत से लोग, जिन्होंने अपने जीवन का अंत किया है, उन्होंने ऐसा दबाव में आकर किया। उन्होंने ऐसा दूसरे लोगों और समाज में प्रचलित गलत धारणाओं के प्रभाव में आकर किया। ऐसा करना कौन सी सम्मान की बात है?
बजाए इसके, आध्यात्मिक जीवन अपनाइए और ईश्वर का सम्मान कीजिए। केवल उन्हीं की राय है, जो वास्तव में मायने रखती है। पृथ्वी पर बेशक कभी-कभी ऐसा होता है कि आत्मा के लिए शरीर में रहना असहनीय हो जाता है, लेकिन यह परिवर्तन की घड़ी को सूचित करता है। अपने आप को खत्म कर लेना, इस समस्या का समाधान नहीं है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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