Published By:धर्म पुराण डेस्क

वास्तु-शास्त्र, वास्तु अनुसार गृह-सज्जा..

वास्तु अनुसार गृह-सज्जा:

गृह-सज्जा में विशेष महत्व इस बात का है कि घर में जो कुछ भी सजाया जाए, वह आंखों, मन और मस्तिष्क को शांति देने वाला हो, साथ ही मन में धार्मिक एवं सांस्कृतिक भाव उत्पन्न होते हों। उनके मन में किसी प्रकार का दुख, उदासी या कलह का भाव नहीं आना चाहिए। गृह-सज्जा में वास्तु के कुछ सामान्य नियमों को ध्यान में रखकर घर में सुख-शांति और ऐश्वर्य प्राप्त किया जा सकता है।

मूर्ति तथा चित्र आदि के द्वारा गृह-सज्जा, विशेषतः मुख्य द्वार की सज्जा को विशेष महत्व दिया जाता है। प्राचीन काल से ही मुख्य द्वार को अति महत्वपूर्ण माना जाता है और आज भी लोगों की यही आम धारणा है कि घर में सुख-समृद्धि और वैभव का प्रवेश मुख्य द्वार से ही होता है। मुख्य द्वार की सजावट में निम्न बातों का विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है

1. कुलदेवता की तस्वीर कुलदेवता या देवी की एक हाथ अर्थात 18 इंच लंबी तस्वीर शुभ होती है। यहां यह ध्यान देना आवश्यक है कि तस्वीर 18 इंच से अधिक लंबी नहीं होनी चाहिए।

2. प्रतिहारी की प्रतिमा- पहरेदार की पोशाक, कवच, ढाल, तलवार आदि से सुसज्जित सुंदर, सजीले नौजवान प्रतिहारी अपनी प्रतिहारिणियों के साथ मुख्य द्वार के आसपास रखे जा सकते हैं।

3. शंख एवं पद्म निधि युक्त सिक्कों द्वारा मुख्य द्वार को सजाया जा सकता है।

4. अष्टमंगल चिन्ह कमल पर विराजमान पवित्र फूलों की माला धारण किए हुए आठ शुभ चिन्ह मुख्य द्वार पर सजाना शुभ है।

5. मां लक्ष्मी- कमल पर बैठी हुई माता लक्ष्मी की प्रतिमा जिनके दोनों ओर पानी की बौछार करते हुए हाथी हों। ऐसी मां लक्ष्मी की मूर्ति शुभ होती है।

6. गले में माला पहने हुए गाय अपने बछड़े के साथ सजाना अच्छा है।

7. मुख्य द्वार पर सरीसृप, उल्लू, जंगली जानवर, हाथी, दैत्य-दानव, निर्वस्त्र स्त्री-पुरुष, युद्ध के दृश्य, शिकार, जलता हुआ घर, बिना पुष्पों का वृक्ष आदि प्रतिमाएं नहीं सजाई जानी चाहिए।

8. द्वार पर स्वास्तिक या रंगोली आदि शुभ प्रतीक चिन्ह घर में किसी भी बुरी हवा, प्रभाव तथा मनहूसियत को प्रवेश नहीं करने देते।

गृह सज्जा:

1. रामायण और महाभारत के युद्ध के दृश्य, तलवार, भाला आदि शस्त्रों से युद्ध, इंद्रजाल, मायाजाल आदि जादुई परिदृश्य, डरावने दैत्य या दानवों की लकड़ी या पत्थर की प्रतिमा, रोते हुए व्यक्ति की तस्वीर आदि से कमरा /घर सजाना शुभ नहीं रहता।

2. चील, बाज, उल्लू, कौआ, कबूतर आदि पक्षी तथा सांप, सूअर आदि की पेंटिंग्स या मूर्तियां घर में नहीं रखनी चाहिए।

3. जंगली जानवर जैसे- शेर, चीता, भालू, सियार, लोमड़ी आदि की लकड़ी, धातु या कैसी भी प्रतिमा को घर में स्थान न दें।

4. पेंटिंग्स, पोट्रेट, मूर्तियां, फूलदान, किताबों की अलमारी तथा अन्य फर्नीचर घर में उचित स्थान पर करीने से अपनी पसंद के अनुसार सजाकर रखे जा सकते हैं।

5. घर के उत्तर -पूर्वी कोण (नैऋत्य कोण) में पूजा घर होना शुभ होता है। 

6. अपने पूर्वजों की तस्वीर घर की दक्षिण-पश्चिम दीवार या कोण में लगानी चाहिए।

7. कमरे में घड़ी दक्षिण दीवार छोड़, शेष दीवारों पर लगाई जा सकती है। 

8. आजकल कई घरों में गृह-सज्जा के नाम पर पूज्य देवी-देवताओं की प्रतिमा लगाई जाती हैं, परंतु इनकी दिशा का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है अन्यथा विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इंद्र, सूर्य आदि देवों को पूर्व या पश्चिम की ओर मुख करके रखना चाहिए। चतुर्मुखी ब्रह्मा, षटमुखी कार्तिकेय तथा पंचमुखी शिवजी की प्रतिमा किसी भी दिशा की ओर मुंह करके रखी जा सकती है। 

हनुमानजी की प्रतिमा लगाते समय यह विशेष ध्यान रखें कि उनका मुख दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।


 

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