Published By:धर्म पुराण डेस्क

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र(वीनस) ..

यह वृष और तुला राशियों का स्वामी है | यह मीन राशि में उच्च का तथा कन्या राशि में नीच का माना जाता है | तुला 20 अंश तक इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है |

शुक्र(वीनस) अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और इसकी दृष्टि को शुभ कारक कहा गया है |

जनम कुंडली में शुक्र(वीनस) सप्तम भाव का कारक होता है |शुक्र(वीनस) की सूर्य-चन्द्र से शत्रुता, शनि–बुध से मैत्री और गुरु–मंगल से समता है | यह स्व, मूल त्रिकोण व उच्च, मित्र राशि–नवांश में, शुक्र(वीनस)वार में, राशि के मध्य में, चन्द्र के साथ रहने पर, वक्री होने पर, सूर्य के आगे रहने पर, वर्गोत्तम नवमांश में, अपराह्न काल में, जन्म कुंडली के तीसरे, चौथे, छटे ( बैद्यनाथ छठे भाव में शुक्र(वीनस) को निष्फल मानते हैं ) व बारहवें  भाव में बलवान व शुभकारक होता है |

ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार शुक्र(वीनस) कन्या राशि में स्थित होने पर बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह(प्लेनेट) के प्रभाव में आकर भी शुक्र(वीनस) बलहीन हो जाते हैं। 

शुक्र(वीनस) पर बुरे ग्रह(प्लेनेट) का प्रबल प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों में समस्याएं पैदा कर सकता है। महिलाओं की कुंडली में शुक्र(वीनस) पर बुरे ग्रह(प्लेनेट) का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन प्रणाली को कमजोर कर सकता है तथा उनके ऋतुस्राव, गर्भाशय अथवा अंडाशय पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है जिसके कारण उन्हें संतान पैदा करने में परेशानियां आ सकती हैं। 

शुक्र(वीनस) शारीरिक सुखों के भी कारक होते हैं तथा संभोग से लेकर हार्दिक प्रेम तक सब विषयों को जानने के लिए कुंडली में शुक्र(वीनस) की स्थिति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। 

ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार शुक्र(वीनस) का प्रबल प्रभाव जातक को रसिक बना देता है तथा आम तौर पर ऐसे जातक अपने प्रेम संबंधों को लेकर संवेदनशील होते हैं। 

शुक्र(वीनस) के जातक सुंदरता और एश्वर्यों का भोग करने में शेष सभी प्रकार के जातकों से आगे होते हैं। शरीर के अंगों में शुक्र(वीनस) जननांगों के कारक होते हैं तथा महिलाओं के शरीर में शुक्र(वीनस) प्रजनन प्रणाली का प्रतिनिधित्व भी करते हैं तथा महिलाओं की कुंडली में शुक्र(वीनस) पर किसी बुरे ग्रह(प्लेनेट) का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। कुंडली धारक के जीवन में पति या पत्नी का सुख देखने के लिए भी कुंडली में शुक्र(वीनस) की स्थिति अवश्य देखनी चाहिए।

शुक्र(वीनस) को सुंदरता की देवी भी कहा जाता है और इसी कारण से सुंदरता, ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े अधिकतर क्षेत्रों के कारक शुक्र(वीनस) ही होते हैं, जैसे कि फैशन जगत तथा इससे जुड़े लोग, सिनेमा जगत तथा इससे जुड़े लोग, रंगमंच तथा इससे जुड़े लोग, चित्रकारी तथा चित्रकार, नृत्य कला तथा नर्तक-नर्तकियां, इत्र तथा इससे संबंधित व्यवसाय, डिजाइनर कपड़ों का व्यवसाय, होटल व्यवसाय तथा अन्य ऐसे व्यवसाय जो सुख-सुविधा तथा ऐश्वर्य से जुड़े हैं।


 

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