 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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डा. रामचन्द्र शाकल्य
यह एक कटु सत्य कथन है कि प्रकृति से बड़ा हितैषी कोई नहीं हो सकता उससे तादात्म्य साधें, ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाइए। प्रकृति स्वयं आपके विकास का पथ संवारने आती है। यही समय है सेहत बनाने एवं आयु बढ़ाने का अमूल्य नुस्खा है, क्योंकि-
1. यदद्य सूर उदितोऽनागा मित्रों अर्थात स्वाति सरिता भगः।
- सामवेद 13/51
अर्थात प्रातः कालीन प्राणदायिनी वायु सूर्योदय के पूर्व तक निर्दोष रहती है। अतः प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्राणप्रद वायु का सेवन करना धर्म का अङ्ग है। इससे उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है और आरोग्य स्थिर रहता है। धन की प्राप्ति होती है।
2. उतवात् पितासि न उत भ्रातोतनः सखा स नी जीवातवे कृधि ।।
- सामवेद 18/41
अर्थात् वायु जीवन है आरोग्य दाता है। अतः प्रातः काल उठकर प्राणदायी वायु नियमित सेवन करें। यह पिता, भाई और मित्र के समान सुख देता है।
आयुर्वेद महर्षि अग्निवेश लिखते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में उठने से आयु एवं स्वास्थ्य का संरक्षण होता है ब्रह्म का अर्थ 'ज्ञान' यह समय ज्ञान प्राप्ति के लिए सर्वथा उपयुक्त माना गया है। इसलिए इसे 'ब्रह्म' संज्ञा प्राप्त है। भारतीय धर्म शास्त्रों में 'ब्रह्म मुहूर्त" रात्रि के अंतिम भाग को कहा गया है। यही रात्रि का चौदहवां मुहूर्त भी हैं यही काल, ध्यान, ज्ञान, योग इत्यादि क्रियाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
जरा प्रातः चार बजे बाहर जाकर कभी तो देखिए अमृत वर्षा हो रही है- प्रभु प्रसाद बांटते नहीं बिखेरते मिल जाएंगे; जो चाहते हो मिलेगा पूजा पाठ, संध्या वंदन की सर्वोत्तम समय है उषाकाल में तारों की उपस्थिति।
नवीन-चिकित्सा अनुसंधानों के अनुसार प्रातः तीन बजे से पांच बजे की अवधि में बिस्तर त्याग देने से पीयूष (पिट्यूटरी) तथा पीनियल ग्रंथियों से विशिष्ट अन्तः स्राव स्रावित होते हैं, जिनका शरीर पर अमृत जैसा प्रभाव पड़ता है यही अंतःस्राव हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाते हैं तथा स्मरण शक्ति को भी बढ़ाते हैं।
अंग्रेजी भाषा में एक कहावत है जो जल्दी उठने की महिमा बतलाती है-
Early to Bed and early to rise, Makes a Man healthy, wealthy and wise.
अर्थात् जल्दी सोने और जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, भाग्यशाली तथा ज्ञानवान बन जाता है।' ब्रह्म मुहूर्त में प्राणवायु पूरे तन-मन का शोधन कर देगी|
प्रकृति प्राणवायु का सौम्य स्पर्श वह भी पूरी देह पर बड़े भाग्यशाली है वे जो, उदित होने से पूर्व सूर्य से साक्षात करने बारह-पन्द्रह मि.पूर्व खड़े हो जाते हैं उस रास्ते की ओर मुंह करके किसी के पास इतनी बड़ी झोली नहीं है जो उसके द्वारा बिखरे जा रहे वैभव (प्रकाश) को समेट लें.
अमृत बिखरा पड़ा हो हम उठा भी न सके तो सच मानिए हम अभी उठे भी कहां हैं। यही से जीने का मकसद मिल जायेगा। सदका मार्ग उद्धवोन्मुखी है और तम मृत्युगामी। पांच जीवित देव है। जो हमें घेरे रहते हैं (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) इन्हें उपेक्षा की दृष्टि से न देखें जल से साक्षात प्राण है- जितना पीएं उतनी देह शुद्धि है। उदित होते सूर्य के सामने खड़े हो जाइए। जीवन में खुशियां लौट आएंगी।
ब्रह्म मुहूर्त में तम एवं रज गुण की मात्रा बहुत कम होती है तथा 'सत्वगुण' की प्रधानता होती है। इसलिए इस समय मानसिक वृत्तियाँ भी सात्विक और शांत बन जाती है। इस प्रकार सुबह जल्दी जागना कुदरती ट्रैंक्विलाइज़र का कार्य करता है।'
ऋग्वेद में कहा गया है कि सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्तियों रत्नों को धारण करता है। रात को चन्द्रमा की किरणों के साथ जो अमृत बरसता है, प्रातःकाल की वायु उसी अमृत को साथ लेकर मंद-मंद बहती है। यही वायु वीरवायु कहलाती है।
सुबह की वायु में अमृतकण उपस्थित होते हैं जब यही अमृतमयी वायु हमारे शरीर को स्पर्श करती है, तब हमारे शरीर में तेज, ओज, बल, शक्ति, स्फूर्ति एवं मेघा का संचार होता है। चेहरे पर दीप्ति आने लगती है चित्त की प्रफुलता बढ़ती है तथा शरीर उत्तरोत्तर स्वस्थ एवं सबल बनता है।
सुबह जल्दी उठने की महिमा को एक कहावत में बखूबी बताया गया है-
तीन बजे जागे, सुयोगी, चार बजे जागे सुसंत।
पांच बजे जागे सो महात्मा छह बजे जागे सो भगत।
बाकी सब ठगत् ।।
अर्थात् - योगीजन तीन बजे शैय्या छोड़ देते हैं संतजन सुबह 4 बजे बिस्तर त्याग देते हैं। महात्मा लोग पांच बजे जाग जाते हैं। भक्तजन छः बजे जाग जाते हैं शेष लोग जो सुबह छह बजे के बाद जागते है। वे खुद को ठग रहे होते हैं अर्थात् अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे होते हैं। हरीश वर्मा विजयगढ़ की पत्रिका धनवंतरी के अनुसार.
'ध्यान रहे तुम सबके बगैर जिंदा रह सकते हो, परन्तु अपनी जिन्दगी के बिना जिंदा नहीं रह सकते और इस सबके लिए है जीवन जीने का नजरिया- सभी के पास चौबीस घंटे हैं; इनका उपयोग कैसे होता है और कैसे होना चाहिए|
बस इतना जान लेने के बाद जिन्दगी का अर्थ मिल जाएगा। बहुत बड़ी दुआ है जो समय हमें देता है आंखें न हो और आईना चाहिए। यह जड़ सोच है। अतः भारतीय ऋषि महर्षियों के सबसे जल्दी उठना की महिमा को जानो, पहचानो और सेहत बनाने, उम्र बढ़ाने के लिए आज से ही अपनाओं।
 
 
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