हम बहुत थोड़ा जानते हैं और ज्यादा जानने का भ्रम पाले रहते हैं- अतुल विनोद
हम इस दुनिया में सीखने के लिए आते हैं. आमतौर पर हमारे जेहन में यह सवाल उठता है कि हम इस दुनिया में क्यों आए हैं?
हम इस दुनिया में लर्निंग के लिए आते हैं। सीखने के लिए। हमारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य सीखना होता है। दिव्य आत्माएं कहती हैं कि हम जो भी सीखते हैं वह ज्ञान होता है और उस ज्ञान के जरिए हम ईश्वर के जैसा बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हैं। दरअसल हम बहुत ज्यादा जानने का दम्भ तो भरते हैं, लेकिन वास्तव में हम बहुत कम जानते हैं। हम इतना कम जानते हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन हमें लगता है कि हम बहुत कुछ जानते हैं। कुछ लोगों को तो यह लगता है कि वह सब कुछ जानते हैं। लेकिन सब कुछ जानने वाला व्यक्ति बहुत बड़ा अज्ञानी हो सकता है। क्योंकि सब कुछ जानने का अर्थ वह जानना नहीं होता जो जानना जरूरी होता है।
हम इस दुनिया में आते हैं तो हमें कई शिक्षक मिलते हैं। उनमें से बहुत कम ऐसे मार्गदर्शक, गुरु शिक्षक होते हैं जो हमें अपने जीवन का वास्तविक उद्देश्य बताते हैं।
हमारा वास्तविक ज्ञान ही हमें ईश्वर से जोड़ता है। हम यहां पर धैर्य प्रेम, करुणा, कृतज्ञता, सद्भाव, सहायता, बंधुत्व, समन्वय जैसे गुणों को सीख कर ईश्वर के जैसा बनने की कोशिश करते हैं। हम यह सब कुछ सीख जाते हैं तो हम ईश्वर तक पहुंचते हैं और लंबे समय तक उसी की गोद में विश्राम करते हैं। हम चाहे तो फिर लौट सकते हैं ईश्वर जैसा बनने के लिए, लोगों को वास्तविक ज्ञान सिखाने के लिए|
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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