 Published By:धर्म पुराण डेस्क
 Published By:धर्म पुराण डेस्क
					 
					
                    
तम्बाकू (Tobacco) का प्रचलन भारतवर्ष में प्राचीन काल से है। इसकी पत्तियों का उपयोग खाने, सूंघने के तथा धूम्रपान के रूप में किया जाता है।
1561 ई. जीन नीकोट (Geen-Nicot) ने यह ज्ञात किया कि तम्बाकू में निकोटीन (Nicotine) नामक विषैला पदार्थ होता है। तम्बाकू का सेवन सिगरेट तथा बीड़ी के रूप में अधिक किया जाता है। आज के युग में तो इसका उपयोग फैशन में एवं शौक के रूप में सम्मिलित हो गया है।
1946 ई. में अमेरिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने अपनी रिपोर्ट में तम्बाकू से निम्नलिखित हानियों के होने का उल्लेख किया-
1. इसके निरंतर सेवन से मस्तिष्क द्वारा सोचने, समझने आदि की शक्तियां कम हो जाती हैं।
2. इसके निरंतर सेवन से नाक तथा गले के अन्दर सूजन उत्पन्न हो जाती है।
3. इसके अधिक तथा निरंतर सेवन से आमाशय, गले तथा फेफड़ों में कैंसर (Cancer) नामक भयंकर रोग होने की संभावना बनी रहती है।
4. इसके प्रभाव से हृदय की गति कभी कम तो कभी अधिक हो जाती है, जो धीरे-धीरे अनेक हृदय रोगों को जन्म देती है। इसके उपयोग से आंखों की ज्योति कम हो जाती है, तथा इसके निरंतर सेवन से मनुष्य अंधा भी हो सकता है।
तम्बाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों से मरने वालों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। चिकित्सा शास्त्रियों और वैज्ञानिकों ने इसके सेवन से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी है, लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं है, यहां यह भी कम चिंता की बात नहीं है कि विश्व में चीन के बाद भारत तम्बाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।
भारत में तम्बाकू की शुरुआत के प्रमाण जहांगीर के शासनकाल से मिलते हैं, उस दौरान हुक्के के जरिए तम्बाकू का इस्तेमाल होता था। तब तम्बाकू का उत्पादन देश में नहीं होता था, बल्कि अन्य देशों से यह भारत पहुंचता था, समय गुजरता गया|
आज आलम यह है कि तम्बाकू बड़ी आवश्यकता बन गया है, देश में तम्बाकू की खेती न सिर्फ व्यापक पैमाने पर होती है। बल्कि इसके उत्पादों का बड़ा कारोबार भी है और सेवनकर्ता भी सबसे ज्यादा यहीं पर हैं।
तम्बाकू के इतिहास पर नजर डाली जाए तो पांचवी शताब्दी में सबसे पहले अमेरिका में इसके चलन की जानकारी मिलती है। पन्द्रहवीं सदी में यूरोप में तम्बाकू के चलन का प्रचलन था, आज अमेरिका और यूरोपीय देशों के लोगों में तम्बाकू के प्रति चेतना है। चूंकि वहां इसके सेवनकर्ता कम हो गए हैं, इसलिए वहां बीमारियां भी कम है।
सन् 1954 में अमेरिका में कैंसर से पीड़ित एक व्यक्ति ने तम्बाकू इण्डस्टीज के खिलाफ याचिका दायर की, जिसे 13 वर्षों के बाद खारिज कर दिया गया।
सन् 1970 से 1995 में तंबाकू कंपनियों ने सिगरेट के पैकेटों पर चेतावनी देना शुरु की।
सन् 1970 से 1995 के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर तम्बाकू के उत्पादन खपत पर नियंत्रण हेतु प्रयास शुरू कर दिए गए थे।
सन् 1983 में धूम्रपान के कारण गंभीर रोगों से ग्रस्त महिला रॉस किपोलन ने एक याचिका दायर की थी, जिस पर 9 साल तक मुकदमा चला, लेकिन बाद में उसके परिवार ने मुकदमा आगे बढ़ाने की पेशकश नहीं की।
1990 के प्रारम्भ में 25 देशों में तम्बाकू के उपयोग पर नियंत्रण के लिए कानून बनाए गए, इससे पूर्व सन् 1970 से 1990 के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर तम्बाकू के उत्पादन तथा खपत पर नियंत्रण हेतु प्रयास शुरु कर दिये गये थे। इसके बारे में स्तरीय संधि भी है, जिसमें करीब एक सौ देशों ने एक विश्व हस्ताक्षर किए थे। धूम्रपान करने से कहीं घातक होता है, अप्रत्यक्ष धूम्रपान। यानि एक पास रहने वाला व्यक्ति भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।
शोधों से यह स्पष्ट हो गया है कि धूम्रपान से हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, तपेदिक, दमा, उच्च रक्तचाप, पेट का अल्सर सहित सभी तरह के कैंसर की संभावना बन जाती है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की पिछले कुछ वर्षों की रिपोर्ट में धूम्रपान करने वालों की लगातार बढ़ती संख्या पर चिंता जताई गई है। इसके मुताबिक देश में 15 वर्ष से अधिक उम्र में लगभग 16 करोड़ पुरुष और 7.5 करोड़ महिलाएं धूम्रपान शुरु कर देती है।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                