कब्ज होना, मल या टट्टी साफ नहीं होना एक साधारण रोग है, पर यह सारे संसार में फैला हुआ है। कब्ज सभी रोगों का मूल कारण है। इसके प्रति लापरवाही बरतने से नाना प्रकार के रोग हो जाते हैं।
हमारे शास्त्रों में इस विषय में लिखा गया है- 'सर्वेषामेव रोगाणां निदानं कुपिता मला:|' अर्थात सभी रोगों का कारण मल का कुपित होना ही है।
कब्ज होने का प्रधान कारण है- अनुचित खानपान तथा रहन-सहन। इनके अतिरिक्त और भी कारण हैं, जैसे-शौच के वेग को रोकना, पानी कम पीना, शीघ्रता पूर्वक भोजन करना, समय पर भोजन नहीं करना, बिना पूरी तरह चबाये भोजन करना, भूख से अधिक भोजन करना, गरिष्ठ भोजन करना, नींद की कमी और मानसिक चिन्ता आदि।
कब्ज नहीं रहे इसके लिए पहला काम है सूर्योदय से पहले उठकर एक-दो गिलास पानी पीना। इसे उषःपान कहते हैं। इसके बाद कुछ देर टहलना और शौच जाना, भोजन समय पर करना और खूब चबाकर करना क़ब्जियत दूर रखने के लिये आवश्यक है।
दोपहर के भोजन में चोकर सहित आटे की रोटी, हरी सब्जी, कच्चा सलाद और मट्ठा लेने चाहिये। तली-भुनी चीजें न खायँ। मैदा की बनी चीजें कभी न खाएं। भोजन हल्का, सुपाच्य और संतुलित हो इसका ध्यान रखें। तीसरे पहर कोई मौसमी फल खाना चाहिये। रात का भोजन सोने के कम-से-कम दो घंटे पहले अवश्य कर ले।
भोजन करते समय या भोजन के तुरंत बाद पानी न पियें। सोते समय एक गिलास गरम दूध पीना चाहिये। जिन्हें दूध हजम नहीं होता या सुलभ न हो, उन्हें एक गिलास पानी पीना चाहिये। इस प्रकार की दिनचर्या से कब्ज नहीं होगा। क़ब्ज़ न रहना सुखी जीवन का प्रथम सोपान है।
कभी कब्ज हो जाए तो उसे दूर करने के कुछ उपाय यहां प्रस्तुत हैं, उन्हें काम में लिया जा सकता है| बेल कब्ज का सबसे बड़ा शत्रु है। चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठ में पके बेल आते हैं। जो पके बेल का सेवन करते हैं, उन्हें कब्ज कभी नहीं होता।
अन्य महीनों में कच्चे बेल का मुरब्बा खाना चाहिए। बेल का गूदा पेट में जाते ही आगे बढ़ने लगता है और आंतों में चिपके मल को धकेलकर मलाशय में पहुंचा देता है। शौच महसूस होते ही मल सरलता से बाहर निकल जाता है।
कब्ज दूर करने में भुने चने का सत्तू बहुत सहायक है। प्रातः- सायं पचास ग्राम सत्तू पानी में घोलकर पियें। गुलाब-फूल की पत्तियों से बना गुलकंद पचीस ग्राम खाकर एक गिलास गरम दूध सोते समय पी ले- कब्ज दूर होगा।
कब्ज दूर करने में ईसबगोल की भूसी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। एरण्ड तेल (रेंडी का तेल)- में सेंकी हुई छोटी हर्रे को महीन पीस लें और ईसबगोल की भूसी बराबर मात्रा में डालकर मिला ले। इस मिश्रण को एक या दो चम्मच की मात्रा में मुंह में डालकर ऊपर से एक गिलास पानी पी रात्रि में सोते समय करे। प्रातः मल सुगमता से बाहर निकल जाएगा।
यह काम नित्य योगासन करे, कब्ज नहीं रहेगा। योगासनों में पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, उत्तानपादासन, जानुशिरासन और पवनमुक्तासन आदि कब्ज दूर करने में बड़े सहायक हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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