Published By:धर्म पुराण डेस्क

क्या है एक मुखी रुद्राक्ष? कैसे पहना जाता है, जानिए फायदे

एक मुखी रुद्राक्ष - 

जिस रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से केवल एक धारी हो, उसे एक मुखी रुद्राक्ष कहते हैं। इस रुद्राक्ष को साक्षात शिव ही माना गया है। इसका धारणकर्ता ब्रह्महत्या जैसे पाप से भी मुक्ति पाता है। 

गोल एक मुखी रुद्राक्ष बहुमूल्य और लुप्तप्राय है परन्तु बाली, जावा अथवा सुमात्रा आदि में एक मुखी काजू दाना रुद्राक्ष मिल जाता है। इस काजूदाने का प्रभाव गोल रुद्राक्ष की अपेक्षा कम होता है परन्तु फिर भी यह बहुत ही अधिक शुभ फल प्रदाता है। 

यदि आपको कोजूदाना, (अर्द्ध चन्द्राकार) एक मुखी रुद्राक्ष परन्तु असली प्राप्त हो जाये तो आपको कुछ ही समय में चमत्कार अनुभव होंगे। इसके दर्शन मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है। जिस घर में इसकी पूजा की जाती है, उस घर में सुख-समृद्धि स्थाई रूप से रहती है और मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है। 

जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करता है वह हमेशा संकटों से मुक्त रहता है। आने वाली समस्यायें स्वतः ही उससे दूर हो जाती हैं। मन में कभी किसी भी प्रकार का भय नहीं आता है। उसकी मनोकामना पूर्ण होने के साथ किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है। वह व्यक्ति सदैव स्वस्थ और मानसिक शान्ति प्राप्त करता है।

एक मुखी रुद्राक्ष से रीढ़ की हड्डी को बल, हृदय सम्बन्धी समस्याओं का समाधान, नेत्र विकार, रक्त गति संचालन अथवा रक्त विकार, फेफड़ों के रोगों से मुक्ति, धमनियों को शक्ति तथा ग्रंथि विकार से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। 

यदि इस रुद्राक्ष को व्यवसायी अपने गल्ले में अथवा गृहस्थ अपने धन रखने के स्थान पर रखें तो वह स्थान हमेशा धन से पूर्ण रहता है। जिस व्यक्ति की जन्मपत्रिका में सूर्य ग्रह के कारण कोई समस्या हो तो उस व्यक्ति को एक मुखी रुद्राक्ष सदैव धारण करना चाहिये। 

एकमुखी रुद्राक्ष चिकित्सक वर्ग को तो अवश्य ही धारण करना चाहिये क्योंकि इसके प्रभाव से चिकित्सक को अपने रोगी के रोग को जल्दी और सटीक पहचानने में मदद प्राप्त होती है। आत्मबल की वृद्धि के लिये भी यह रुद्राक्ष शुभ होता है।

एक मुखी का रुद्राक्ष का धारण मंत्र ॐ ह्रीं नमः है।

उपेंद्र धाकर


 

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