 Published By:अतुल विनोद
 Published By:अतुल विनोद
					 
					
                    
शरीर मन और आत्मा| ये तीनो उस परम सत्ता से ही उत्पन्न होते हैं| दिखने वाला यूनिवर्स बनाने वाले से अलग नहीं है| हम लोगों की नजर बनाने वाले को अलग मानती है, बनाने वाला बनने वाले के अंदर ही है तीन रूप में| “As above so below” जो ऊपर है वही अंदर है! “जो यहां नहीं वह कहीं नहीं” बाहर जो कुछ दिखता है वह इसलिए कि भीतर भी वही है| आप इस दुनिया को एक मानव की तरह देखें| जैसे एक मानव में शरीर, मन और आत्मा है, वैसे ही इस विश्व में विश्व शरीर, विश्व मन, और विश्व आत्मा है|
जैसे ह्यूमन बॉडी, माइंड और सोल आपस में मिलकर रहते हैं ऐसे ही यूनिवर्सल बॉडी माइंड और सोल आपस में मिलकर एक ही “सुप्रीम एक्जिस्टेंस” का निर्माण करते हैं| सुप्रीम एक्जिस्टेंस को हम परम शिव, अल्लाह, सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम पावर, परमात्मा, परमेश्वर कहते हैं| यूनिवर्स के एक्जिस्टेंस में आने से पहले सुप्रीम पावर के अंदर उसकी बॉडी, माइंड और सोल आपस में घुले मिले होते हैं| उस वक्त वह सुप्रीम एक्जिस्टेंस सिर्फ और सिर्फ एक होती है दूसरा कोई नहीं होता| क्योंकि हम उस सुप्रीम एक्जिस्टेंस का हिस्सा है, इसलिए हम उससे जुड़े हुए और उससे प्रभावित है| इसलिए कहा जाता है कि “गॉड विदिन अस” सुप्रीम स्टेज में सुप्रीम एक्जिस्टेंस में कोई दूसरा एलिमेंट नहीं होता|
ना टाइम, न स्पेस, ना ही किसी तरह का कोई डिफरेंस| जब क्रिएशन होता है तब सुप्रीम एक्जिस्टेंस एक एलिमेंट से कई एलिमेंट, टाइम, स्पेस, और विभिन्नताओं में परिवर्तित हो जाता है| सुप्रीम एक्जिस्टेंस एक बॉल के शेप में उस बॉल के अंदर विजिबल यूनिवर्स का निर्माण करता है| इस दृश्यमान विश्व के तीन स्तर होते हैं| 1- शरीर: दीखता और तैरता जगत,द्रश्य, पदार्थ (The floating material bodies) NORMAL "Matter" 2- मन: यूनिवर्सल माइंड जिसमें सभी तरह की सूचनाएं प्रकृति के नियम और इस विश्व के संचालन का ब्लूप्रिंट होता है| (The universal mind embedded with information systems and laws of nature operating from big bang to black hole.)
"Dark Matter" 3- आत्मा: सुप्रीम कॉन्शसनेस, वह परम चेतना जिसकी शक्ति और क्षेत्र में ये दिखने वाला जगत तैरता है और चार्ज होता है| (Is the field known as particle and wave theory energizing the Quantum field and each Atom.) "Dark Energy" अपने अंदर से मैटर डार्क मैटर और डार्क एनर्जी पैदा करने वाला यह परम अस्तित्व अपने में से पूरा निकालने के बाद भी पूरा ही बचा रहता है| वैज्ञानिक इस चौथे इनग्रेडिएंट को अभी तक आईडेंटिफाई नहीं कर पाए| यह अन आईडेंटिफाइड चौथा तत्व जिससे यह तीन तत्व पैदा हुए हैं वह परम रहस्यमई तत्व है|
इस तत्व को हिग्स बोसोन/ गॉड पार्टिकल भी कहा जाता है| मनुष्य भी शरीर, मन और आत्मा से मिलकर बना है| मनुष्य का शरीर दृश्य मान जगत का हिस्सा है, मनुष्य का मन यूनिवर्सल माइंड का हिस्सा है, मनुष्य की आत्मा वैश्विक आत्मा, विश्व चेतना या यूनिवर्सल कॉन्शसनेस का हिस्सा है| परम सत्ता विश्व के बाहर भी है विश्व के अंदर भी| परम सत्ता रचना भी है और रचनाकार भी| सुप्रीम पावर ही “एक्टिव” होकर खुद को खुद की शक्ति/ नाद / बिंदु में विभक्त करके इस यूनिवर्स का क्रिएशन करता है| वह क्रिएटर भी है और क्रिएशन भी| इंडिविजुअल एक्जिस्टेंस, कलेक्टिव एक्जिस्टेंस का पार्ट है| यह जानते हुए भी कि हम उस परम और समग्र सत्ता का हिस्सा है हम खुद को एक अलग इकाई मानते हैं|
आखिर में इंडिविजुअल एक्जिस्टेंस फिर से सुप्रीम एक्जिस्टेंस में विलीन हो जाती है| सब कुछ घुल मिलकर फिर से एक हो जाता है इसी को प्रलय कहते हैं| सुप्रीम एलिमेंट, से पैदा होता है जगत, जगत में पैदा होती है आकाशगंगायें, आकाशगंगाओं में सौर मंडल, सौरमंडल में ग्रह, ग्रहों में देश, काल, परिस्थिति, जीवन, जन्म मरण, प्रजातियां| यहां पर सुप्रीम एलिमेंट अपनी नैसर्गिकता को खो देता है| और अलग-अलग जीव जंतुओं और नजारों के रूप में दिखाई देता है| जीव जंतु उसका हिस्सा होते हुए भी अपने आपको उससे अलग मानने लगते हैं|
वह सुप्रीम एलिमेंट इस रूप में जहां भी कंसंट्रेट करता है वैसा हो जाता है| सनातन धर्म में परम-ईश्वर के तीनों रूपों को शक्ति, नाद और बिंदु कहा गया है| इन तीन तत्वों के साथ कलाएं भी जुड़ी होती हैं| सृजन, पालन और विसर्जन सुप्रीम एलिमेंट की 3 कलाएं हैं| सत्व, रज, तम तीन गुण है| बाद में यह कलाएं और गुण और भी छोटे-छोटे रूपों में विभक्त हो जाते हैं| तीन तत्व, तीन रूप, 3 गुण, 3 कलाओं के साथ तीन भाव भी अस्तित्व में आते हैं “पश्यंति, मध्यमा और बैखरी”
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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