Published By:अतुल विनोद

धर्म शास्त्रों का लक्ष्य क्या है? वेद उपनिषद क्यों बनाए गए? अतुल विनोद 

 

हम सब अपने जीवन को प्रकाशित करने की कामना से अनेक तरह के उपासना से गुजरते हैं| ज्यादातर क्रिया साधनायें बाहरी जीवन को आगे बढ़ाने के लिए है| लेकिन वेद उपनिषद आंतरिक सत्ता से परिचय कराने का माध्यम है|

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वेदांत का लक्ष्य परेशानियों से घिरे हुए व्यक्ति का उपकार करना है| यह सिर्फ किताबों में मौजूद विषय नहीं है बल्कि यह वह विद्या है जिससे हम अपने शोक को पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं| आखिर कैसे उपनिषद-विद्या मनुष्य के क्लेश का नाश करती है?


परमपिता परमात्मा को जानने से सब प्रकार के बंधन अपने आप कट जाते हैं| बंधनों के कटते ही जन्म और मरण से छुटकारा मिल जाता है|

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कर्म-उपासना से दुख की सतह तो खत्म हो सकती है लेकिन दुख की जड़ को खत्म करने के लिए परमात्मा को जानना जरूरी है| दुख का मूल जन्म है| जब तक शरीर है दुख है| 

जन्म का मूल कारण कर्म है| कर्म का मूल उपनिषदों में राग बताया है| राग का कारण भिन्नता है, द्वैत है| जब दूसरा है तब कर्म भी है| भय, द्वेष, राग सब कुछ है|

जब भेद खत्म हो जाते हैं सब कुछ आत्मा ही हो जाती है| तब राग भी खत्म हो जाता है| राग के खत्म होने से कर्म खत्म हो जाता है| कर्म नहीं है तो फिर जन्म भी नहीं है| जब तक नाम और रूप है तब तक जन्म और मरण भी है|

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नाम-रूप आकाश में पैदा होते हैं आकाश उनका आधार है और आकाश ही उनका निर्वाह करने वाला है| यह आकाश जिसके अंदर है वह ब्रह्म है| उस ब्रह्म को जान लेने से नाम और रूप मिट जाते हैं| ब्रह्म सब का प्रमुख कारण है| और ब्रह्म स्वयं अकारण है उसके ऊपर परब्रह्म है जो ना कर्ता है ना भोक्ता| 

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अतुल विनोद

Atul Vinod Pathak atulyam


 

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